नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन बरेलवी ने एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने हिजाब के फैशन के तौर पर इस्तेमाल होने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आजकल हिजाब में नकाब या लड़की के नाम या माशाल्लाह लिखा होता है, या फिर किसी खास डिजाइन का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो पर्दे के असली मकसद के खिलाफ है। उनका कहना था कि ऐसे नकाब, जो अधिक उभरे हुए होते हैं, मर्दों को और अधिक आकर्षित करते हैं, जिससे पर्दे का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता।
उन्होंने यह भी कहा कि इस्लाम ने महिलाओं को उच्च स्थान दिया है और उन्हें घर की शीनत (सज्जा) और पर्दे का हुक्म दिया है, लेकिन आजकल हिजाब को फैशन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो शरिया के खिलाफ है। मौलाना ने यह भी आरोप लगाया कि हिजाब बनाने वाली कंपनियां इसे आकर्षक तरीके से पेश कर रही हैं, जिससे यह शरिया के उद्देश्यों से भटकता है। इसके अलावा, मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन ने अखाड़ा परिषद के एक फैसले पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।
अखाड़ा परिषद ने यह ऐलान किया था कि कुंभ मेला में किसी खास समुदाय के लोगों को दुकान लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। मौलाना ने इस फैसले को समाज में नफरत फैलाने वाला और संप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला बताया। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि इस निर्णय के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए और अखाड़ा परिषद का यह आदेश वापस लिया जाए। इन बयानों के माध्यम से मौलाना ने समाज में अमन और शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया और असहमति वाले फैसलों के खिलाफ आवाज उठाई।
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