नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी और भारत पर की गई विवादित टिप्पणी पर भारत अब मालदीव के खिलाफ कड़ा रुख अपना रहा है। सोमवार को मालदीव के उच्चायुक्त को भारत सरकार ने तलब किया और सख्त कार्रवाई की मांग की है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में हल खोजने की जिम्मेदारी राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, उच्चायुक्त इब्राहिम शाहीब से भारत ने स्पष्ट कह दिया है कि मालदीव ने द्विपक्षीय संबंध खराब कर लिए हैं और अब इसे सुधरने की जिम्मेदारी मुइज्जू की होगी। भारत ने यह भी कहा है कि तीनों मंत्रियों का निलंबन पर्याप्त करवाई नहीं है, उन्हें बर्खास्त किया जाए। विदेश मंत्रालय ने उन्हें अपना दंगा अधिनियम भी पढ़ाया। बताया जा रहा है कि उच्चायुक्त को लेकर विदेश मंत्रालय ने सख्त रुख अख्त्यार कर लिया है और सिर्फ 4 मिनट में ही उन्हें दफ्तर में फटकार लगाकर बाहर कर दिया गया।
वहीं, भारत ने इस मामले में अब तक राष्ट्रपति मुइज्जू की चुप्पी पर भी नाराजगी जताई है। गौर करने वाली बात तो ये है कि यह घटनाक्रम ऐसे वक़्त पर सामने आया है, जब मुइज्जू फंड के लिए चीन की यात्रा पहुंचे हैं। वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फंड मांगेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय को यह भी लग रहा है कि कहीं चीन द्वारा मालदीव के मंत्रियों को जानबूझकर यह तनाव पैदा करने को तो नहीं कहा गया था। उधर, मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मंत्रियों की ओर से दिया गए बयान की जानकारी सरकार को है। साथ ही उनका कहना है कि ये मालदीव के नहीं, बल्कि मंत्रियों के व्यक्तिगत विचार हैं।
गौरतलब है कि, पीएम मोदी हाल ही में लक्षद्वीप दौरे पर गए थे। जिसके बाद मालदीव सरकार में मंत्री रहे मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महजूम माजिद ने उनकी यात्रा पर विवादित टिप्पणियां कर दी थीं। इसके बाद पहले तो सोशल मीडिया पर मालदीव के विरोध में आवाज़ उठना शुरू हुई और #BoycottMaldives टॉप ट्रेंड करने लगा। इसके बाद भारत सरकार ने भी कड़ी आपत्ति जताई और उच्चायुक्त को तलब कर अपना विरोध दर्ज कराया। मालदीव में लाखों भारतीय रहते हैं, साथ ही साल भर में लगभग 20 लाख भारतीय वहां छुट्टियां मन्नने जाते हैं, जिससे उनका रेवेन्यू बढ़ता है। अगर भारत में इसका विरोध जोर पकड़ता है, तो मालदीव को बड़ा झटका लग सकता है।
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