नई दिल्लीः केंद्रीय जांच एजेंसी यानि सीबीआई ने हेलिकॉप्टर सेवा देने वाली निजी कंपनी पवनहंस के अधिकारियों पर फंड की हेराफेरी के मामले में केस दर्ज किया है। इन पर आरोप है कि एमआई-17 हेलिकॉप्टर की मरम्मत के लिए मिले 1.85 करोड़ रुपये के फंड की हेराफेरी की है। ये रुपये रूसी कंपनी के खाते में जाने थे,मगर इसे किसी इंडोनेशियाई खाते में डाल दिया गया। सूत्रों के अनुसार, पवनहंस ने 20 मई, 2015 को रूसी कंपनी क्लिमोव जेएससी से तीन एमआई-172 हेलिकॉप्टर की सर्विस और मरम्मत का करार किया। करार नौ करोड़ रुपये का था।
करार के अनुसार पवनहंस को इसका 30 फीसदी अग्रिम भुगतान करना था। कंपनी की ओर से पवनहंस को बैंक के ब्योरे सहित इनवॉइस भेजा गया, लेकिन रुपये खाते में जमा नहीं कराए गए। कंपनी ने अगले साल रिमाइंडर भेजा। सूत्रों के अनुसार, पवनहंस ने भुगतान इसलिए नहीं किया, क्योंकि इंजन नहीं भेजा गया था। पवनहंस ने 27 फरवरी 2016 को इंजन भेजा, जिसकी पावती भी रूसी कंपनी की ओर से भेजा गया।
कंपनी के उसी ईमेल से अग्रिम भुगतान की 30 फीसदी राशि इंडोनेशिया के बैंक मंडी खाते में जमा करवाने को कहा गया। पवनहंस ने मेल के निर्देश के अनुसार मार्च 2016 में 1.85 करोड़ का भुगतान कर दिया। बाद में पता चला कि कलिमोव ने वह मेल नहीं भेजा था। रूसी कंपनी ने अपनी सरकार के जरिए इस मामले की जानकारी भारत सरकार को दी। जिसके बाद सीबीआई ने पवनहंस के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कर कारवाई शुरू कर दी है।
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