माइक्रोसॉफ्ट ने साइबर सुरक्षा चिंताओं पर चीन में कर्मचारियों के लिए एंड्रॉइड फोन पर लगाया प्रतिबंध

माइक्रोसॉफ्ट ने साइबर सुरक्षा चिंताओं पर चीन में कर्मचारियों के लिए एंड्रॉइड फोन पर लगाया प्रतिबंध
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टेक दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट ने साइबर सुरक्षा और डेटा चोरी की चिंताओं का हवाला देते हुए चीन में अपने कर्मचारियों को एंड्रॉयड फोन इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित कर दिया है। इस कदम से पूरी दुनिया हैरान है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट ने साइबर सुरक्षा मुद्दों और डेटा लीक से बचने के लिए यह फैसला लिया है, जो वैश्विक स्तर पर तेजी से आम हो गए हैं।

माइक्रोसॉफ्ट के इस फैसले को उसके सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कंपनी ने अपने कर्मचारियों को एंड्रॉयड डिवाइस के बजाय एप्पल गैजेट का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि माइक्रोसॉफ्ट अपने चीनी कार्यालयों में साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए और भी कड़े कदम उठा सकता है।

माइक्रोसॉफ्ट के इस फैसले के पीछे का कारण चीन में गूगल मोबाइल सर्विसेज (जीएमएस) की कमी को बताया जा रहा है, जो प्रमाणीकरणकर्ताओं और पहचान पास सहित सुरक्षा स्तरों के प्रबंधन के लिए आवश्यक है। जबकि एप्पल का आईओएस स्टोर चीन में उपलब्ध है, गूगल प्ले स्टोर उपलब्ध नहीं है, जिससे माइक्रोसॉफ्ट के लिए अपने कर्मचारियों के उपकरणों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। हुवावे और श्याओमी जैसे स्थानीय स्मार्टफोन ब्रांडों के अपने खुद के प्लेटफॉर्म हैं, लेकिन माइक्रोसॉफ्ट उन्हें सुरक्षित नहीं मानता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि एंड्रॉयड डिवाइस हैकिंग के प्रति अधिक संवेदनशील हैं और चीन में गूगल प्ले स्टोर की अनुपस्थिति ने माइक्रोसॉफ्ट की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। एंड्रॉयड फोन पर प्रतिबंध लगाने का कंपनी का फैसला उसके सिक्योर फ्यूचर इनिशिएटिव का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य साइबर सुरक्षा उपायों को बढ़ाना है। सितंबर से, माइक्रोसॉफ्ट अपने चीनी कार्यालयों में एंड्रॉयड ओएस डिवाइस तक पहुंच पर प्रतिबंध लगाएगा और कर्मचारियों को संक्रमण को सुविधाजनक बनाने के लिए आईफोन 15 डिवाइस प्रदान किए जाएंगे।

इस कदम को साइबर हमलों को रोकने के लिए एहतियाती उपाय के रूप में देखा जा रहा है, जैसे कि हाल ही में अमेरिकी सरकारी एजेंसियों पर हुए हमले, जो कथित तौर पर रूस से जुड़े थे। यह कदम उठाकर, Microsoft का लक्ष्य अपने कर्मचारियों के उपकरणों और डेटा को संभावित साइबर खतरों से बचाना है। कंपनी के इस फैसले ने साइबर सुरक्षा के महत्व और तकनीकी दिग्गजों द्वारा अपने सिस्टम और डेटा की सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता पर बहस छेड़ दी है।

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