कोरोना के बढ़ते संकट को देखते हुए लॉकडाउन की अवधी को बढ़ाया गया. इसकी वजह से जो जहां था वो वहीं फंस गया है. ऐसे में मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए 24 अप्रैल को घोषणा की. उससे पहले ही नवी मुंबई से मध्यप्रदेश के सीधी स्थित गांव के लिए चले मजदूर मोतीलाल साहू की महाराष्ट्र के ठाणे में मौत हो गई है. मजदूर बिना भोजन-पानी के खाली पेट वहां से चला था. अब परिजन उनके शव को लाने के लिए 35,000 रुपये इकट्ठा किए हैं. 38 वर्षीय मोतीलाल साहू का शव लेकर एंबुलेंस शनिवार दोपहर भोपाल से गुजरा है. यहां से उनके गांव की दूरी 700 किलोमीटर है. ये भी बताया जा रहा है कि मोतीलाल साहू खाली पेट 1400 किलोमीटर अपने घर के लिए निकले थे. साहू के परिवार में उनकी पत्नी और 3 बेटियां हैं. मोतीलाल साहू नवी मुंबई में हाउस पेंटर का काम करते थे, वह लॉकडाउन की वजह से वहां फंस गए थे.
दरअसल पैसा और खाना खत्म होने के बाद मोतीलाल 50 मजदूरों की टोली के साथ मुंबई से पैदल ही चल दिए थे. प्रवासी मजदूरों की इस टोली में 9 मध्यप्रदेश के थे. ये लोग पहले लॉकडाउन तक मुंबई में ही रुके रहे, लेकिन दूसरे बार घोषणा के बाद इनकी मुश्किलें बढ़ गई थी.
बता दें की कल्याण पुलिस स्टेशन के एसआई कमलाकर मुंबई ने टीओई से बात करते हुए कहा है कि 22 अप्रैल को 2:30 बजे ये लोग नेरुल से निकले थे. कुछ मजदूरों के पास मोबाइल फोन थे, जीपीएस के सहारे ये लोग आगे बढ़ रहे थे. सुबह 8 बजे के करीब ये लोग खदावली गांव पहुंचे, जहां ये लोग घंटों रुके रहे. शाम 5 बजे मोतीलाल साहू गिर गए. इसके बाद उनके साथियों ने 108 एंबुलेंस को फोन किया. मोतीलाल के गिरने के बाद साथ चल रहे लोग आगे बढ़ हए. लेकिन सुरेश साहू वहां रुके रहे, जो उनके पड़ोसी गांव से हैं.
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