वाशिंगटन: अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने एक वर्चुअल समिट में चीन पर निशाना साधा है. वर्चुअल 2020 कोपेनहेगन डेमोक्रेसी समिट में शुक्रवार को माइक पोम्पियो ने कहा कि यूरोपीय देशों को फैसला लेना है कि वे बीजिंग को चुनते हैं या वॉशिंगटन को. पोम्पियो ने कहा कि यह विकल्प अमेरिका के लिए नहीं है बल्कि आजादी और अत्याचार के बीच है. वर्चुअल बैठक में पोम्पियो ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना को "दुष्ट" कहा है.
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कोपेनहेगन में पोम्पियो के भाषण का उद्देश्य यूरोपीय देशों के साथ एक चर्चा नहीं था, बल्कि अपने यूरोपीय सहयोगियों को समझा कर उन्हें वॉशिंगटन की ओर खींचने की मांग करना था. इसमें कोई संदेह नहीं है कि यूरोपीय देश चीन की तुलना में अमेरिका के नजदीक हैं, किन्तु अब सवाल यह है कि वॉशिंगटन यूरोप को अपना पक्ष चुनने के लिए किसलिए कह रहा है और यूरोपीय हितों को दूर फेंकने के लिए क्यों तैयार है. अमेरिका आज यूरोप से काफी कुछ पूछ रहा है. हालांकि वॉशिंगटन को ऐसा लक्ष्य मिलना कठिन होगा.
वॉशिंगटन को अंततः यह पता चल जाएगा कि वह चीन को अलग करने के लिए कड़ी मशक्कत करता है, मगर वह वास्तव में कई मामलों में खुद को और अलग कर लेगा. ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि, अमेरिका विश्व के साथ जबरदस्ती कर रहा है, दुनिया से आग्रह कर रहा है, ठीक वैसे ही जैसे ताइवान के अधिकारियों और ऑस्ट्रेलिया के साथ किया. अमेरिका ताकतवर है, किन्तु वह इसमें विफल हो जाएगा क्योंकि वह दूसरे देशों से अपने हित की बात कर रहा है.
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