नई दिल्ली: एक शीर्ष नौसेना अधिकारी ने कहा है कि भारतीय नौसेना के पास पूर्वी और पश्चिमी समुद्री तटों में हजारों किलोमीटर की तटीय इलाकों में फैले समुद्री मार्गों और बंदरगाहों की रक्षा के लिए केवल दो माइनस्वीपर जहाज़ बचे हैं. भारतीय नौसेना के रियर एडमिरल व् सामग्री के सहायक प्रमुख राजाराम स्वामीनाथन ने बताया है कि नौसेना के लिए 12 माइनस्वीपर जहाजों की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान में केवल दो ही ऐसे जहाज़ हैं, स्वामीनाथन ने ये भी कहा कि नौसेना को इन जहाज़ों की अतिशीघ्र आवश्यकता है.
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माइनस्वीपर नौसेना के छोटे जहाज़ हैं जो पानी के नीचे की माइंस का पता लगाते हैं और नष्ट करते हैं और इन्हे क्रूड ऑयल सहित आवश्यक माल के आवागमन के लिए महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. शुक्रवार को नौसेना के लिए ईंधन बार्ज के लॉन्च के दौरान बोलते हुए स्वामीनाथन ने कहा कि रक्षा पीएसयू गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) इन जहाज़ों के निर्माण के लिए एक विदेशी फर्म के साथ सहयोग करने की प्रक्रिया में है.
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सरकार 12 माइनस्वीपर जहाजों की खरीद के लिए जीएसएल को सौंपी गई 32,000 करोड़ रुपये से अधिक परियोजना के लिए एक विदेशी सहयोगी की तलाश कर रही है. इन जहाजों का मूल कार्य पानी के नीचे छिपी सभी प्रकार के माइंस को ढूंढ कर उन्हें नष्ट करना है.आपको बता दें कि पिछले साल रक्षा पर एक संसदीय स्थायी समिति ने जहाज़ों की खरीद में देरी के लिए सरकार की निंदा की थी और नौसेना की क्षमता में अंतर को भरने के प्रयास करने के लिए कहा था.
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