पीएम मोदी ने कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए 21 दिनों को लॉकडाउन किया है. वही, लॉकडाउन के नाम पर कर्मचारियों तथा मजदूरों को मार्च का पूरा वेतन देने में आनाकानी करने वाली बैंकिंग व बीमा कंपनियों तथा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के साथ अनुबंध पर कार्य करने वाली इकाइयों और कांट्रैक्टर्स पर केंद्र सरकार का शिकंजा कस सकता है । इस संबंध में श्रम मंत्रालय की ओर से केंद्रीय श्रमायुक्त को केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आने वाली समस्त इकाइयों के बारे में शिकायतों पर कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए हैं.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय को यूनियनों के अलावा कुछ कर्मचारियों की व्यक्तिगत शिकायतें प्राप्त हुई हैं कि एक सरकारी कंपनी के लिए कांट्रैक्ट पर सेवाएं देने वाली उनकी कंपनी ने अब तक अनेक कर्मचारियों को मार्च का वेतन नहीं दिया है। पूछने पर लॉकडाउन का हवाला देकर मार्च का वेतन रोके जाने अथवा एक हफ्ते का वेतन काट कर देर से दिए जाने की बातें की जा रही हैं.
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अगर आपको नही पता तो बता दे कि बैंकिंग एवं बीमा कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के अलावा रेलवे, छावनी बोर्ड, प्रमुख पोर्ट, खदानें और ऑयल फील्ड, एयरलाइन एवं एयरपोर्ट सेवाएं, सीमेंट, पेट्रोलियम जैसे नियंत्रित उद्योगों से संबंधित इकाइयां तथा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम आदि आते हैं। ये उपक्रम तो आम तौर पर कर्मचारियों को लॉकडाउन की अवधि का विशेष अवकाश देकर मार्च का पूरा वेतन दे रहे हैं। परंतु इनके साथ अनुबंध पर कार्य करने वाली निजी क्षेत्र की कंपनियां अपने कर्मचारियों को वेतन देने में हीलाहवाली कर रही हैं.
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