इंदौर/ब्यूरो: नाबालिग से छेड़छाड़ के मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत जांच कर रही पुलिस का दावा है कि नाबालिग नौवीं कक्षा की छात्रा है, जबकि चालान डायरी में पुलिस ने उसे कक्षा आठवीं तक ही पढ़ने का दावा किया है। इसे दावे को प्रमाणित करते हुए कोर्ट में दस्तावेज भी पेश किए हैं। जिसमें कोर्ट ने ही पूरे मामले में पुलिस को गलत एफआईआर की बात कही है। जिला न्यायालय में वकील कृष्णकुमार कुन्हारे, ईश्वर कुमार प्रजापति ने बताया कि 9 अप्रैल 2017 को बंशी माधवानी के खिलाफ 16 साल की एक नाबालिग ने थाना सराफा में पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कराया था।
नाबालिग ने पुलिस से कहा कि मिलन साड़ी की दुकान पर बंशी माधवानी ने लड़की का नाम-पता पूछ कर पहचान की और बाद में परेशान करने लगा। शिकायत के आधार पर पुलिस ने बंशी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस मामले में सराफा थाने के सब इंस्पेक्टर नरेंद्र जैसवार ने कोर्ट में चालान पेश किया। नाबालिग ने कोर्ट को दिए बयान में बताया कि उसके मुंह बोले मामा और मामी का कोर्ट में केस चल रहा था। बंशी माधवानी मामी की कानूनी मदद कर रहा है। इस लिए मामा ने अपनी भानजी से बंशी के खिलाफ झूठी रिपोर्ट लिखवाई।
नाबालिग ने जिस स्कूल में खुद को 9वीं कक्षा की छात्रा बताया दरअसल वह 8वी कक्षा तक ही है। नाबालिग ने भी 8वीं के बाद स्कूल जाना छोड़ दिया था। पूरा मामला यहीं से झूठा होना सामने आया।सेशन जज विशेष न्यायाधीश पावस श्रीवास्तव ने फैसले में टिप्पणी की कि ये केस पॉक्सो एक्ट का सीधे-सीधे दुरुपयोग है। पुलिस के चालान के साथ लगे दस्तावेजों और उप प्राचार्या के बयान से यह साफ है कि नाबालिग 8वीं तक ही पढ़ी है। नाबालिग की मां भी बयान देने कोर्ट में नहीं पहुंची।
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