'भारत में अल्पसंख्यकों पर जुल्म, धर्मांतरण विरोधी कानून..', अमेरिका ने फिर उगला जहर
'भारत में अल्पसंख्यकों पर जुल्म, धर्मांतरण विरोधी कानून..', अमेरिका ने फिर उगला जहर
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नई दिल्ली: अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार (स्थानीय समय) को 200 से अधिक देशों के लिए विदेश विभाग की 2023 धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट जारी की और कहा कि भारत में अल्पसंख्यक समूहों से संबंधित लोगों के लिए अभद्र भाषा, धर्मांतरण विरोधी कानून, घरों और पूजा स्थलों को ध्वस्त करने में "चिंताजनक वृद्धि" हुई है।

रिपोर्ट जारी करते हुए ब्लिंकन ने कहा कि दुनिया भर में लाखों लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता का अभी भी सम्मान नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि लोग धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान एक विवाद तब खड़ा हो गया जब विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर "नफरत फैलाने वाले भाषण" का आरोप लगाया। राजस्थान में एक रैली में पीएम मोदी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस लोगों की मेहनत की कमाई को "घुसपैठियों" और "अधिक बच्चे पैदा करने वालों" को देने की योजना बना रही है। भारत के विपक्षी दल भी सरकार पार इसी तरह के आरोप लगाते हैं, पाकिस्तान और कुछ मुस्लिम देश कश्मीर मुद्दे को लेकर यही बातें दोहराते हैं, जिससे इन्हे और बल मिलता है और खुद अपने एयरपोर्ट्स पर मुस्लिमों के कपड़े तक उतारकर तलाशी लेने वाला अमेरिका, अल्पसंख्यकों पर भारत को ज्ञान देता है

विदेश विभाग की धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट के अनुसार, वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी पिछले वर्ष भी अपने भारतीय समकक्षों के समक्ष धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों पर चिंता व्यक्त करते रहे थे। ब्लिंकन ने कहा, "भारत में, हम धर्मांतरण विरोधी कानूनों, अभद्र भाषा, अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के सदस्यों के घरों और पूजा स्थलों को ध्वस्त करने में चिंताजनक वृद्धि देखते हैं। साथ ही, दुनिया भर के लोग भी धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।" रिपोर्ट में अल्पसंख्यक समूहों पर हमलों, हत्याओं और उनके पूजा स्थलों में तोड़फोड़ की घटनाओं का उल्लेख किया गया है। भारत के 28 राज्यों में से दस राज्यों में सभी धर्मों के लिए धर्म परिवर्तन को प्रतिबंधित करने वाले कानून हैं। इसमें कहा गया है कि कुछ राज्य विवाह के उद्देश्य से जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ दंड लगाते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्पसंख्यक समूहों के कुछ सदस्यों ने सरकार की हिंसा से उनकी रक्षा करने, धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के विरुद्ध अपराधों की जांच करने तथा उनकी धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता की रक्षा करने की क्षमता और इच्छा को चुनौती दी है। पिछले वर्ष भारत ने विदेश विभाग की धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और कहा था कि यह "गलत सूचना और त्रुटिपूर्ण समझ" पर आधारित है। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि, "कुछ अमेरिकी अधिकारियों की प्रेरित और पक्षपातपूर्ण टिप्पणियां इन रिपोर्टों की विश्वसनीयता को और कम करने का काम करती हैं।"

इसमें कहा गया है, "हम अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी को महत्व देते हैं तथा हमारे लिए चिंता के मुद्दों पर खुलकर बातचीत जारी रखेंगे।" राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका द्वारा भारत की आलोचना आमतौर पर संयमित है, क्योंकि वाशिंगटन के नई दिल्ली के साथ घनिष्ठ आर्थिक संबंध हैं तथा चीन का मुकाबला करने के लिए बाइडेन प्रशासन के लिए भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

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