वाशिंगटन. खोई चीजो का पता लग जाए तो जो ख़ुशी होती है, उसका कोई अन्दाजा नहीं लगाया जा सकता है. चंद्रमा के लिए भारत का पहला मानवरहित अभियान चंद्रयान-1 चाँद के चक्कर लगा रहा है इस के बारे में माना जा रहा था कि वह लापता हो गया है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है, लगभग 3.9 अरब रुपए की लागत से तैयार चंद्रयान-1 को वर्ष 2008 में लांच किया था जिसका मकसद चाँद की सतह और कीमती धातुओ का पता लगाना था.
इसे दो वर्ष के लिए मिशन पर भेजा गया था किन्तु लांच के एक वर्ष बाद ही इसरो के वैज्ञानिकों का संपर्क इससे टूट गया था. इसलिए इसे लापता घोषित कर दिया गया था. नासा ने भूमि आधारित रेडार तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इस अंतरिक्षयान का पता लगाया है. इसरो का चंद्रयान-1 के साथ 29 अगस्त, 2009 को संपर्क खत्म हो गया था.
केलिफोर्निया स्थित नासा के जेट प्रोपल्सन लैबोरेटरी के वैज्ञानिक इस अंतरिक्षयान की जानकारी जुटाने में सफल रहे है. यह अंतरिक्षयान अब भी चंद्रमा की सतह से लगभग 200 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगा रहा है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि एलआरओ का पता लगाना आपेक्षिक आसान थी, क्योंकि मिशन के नौवहकों और कक्षा के डाटा को लेकर काम कर रहे थे जहां यह स्थित था. भारत के चंद्रयान-1 की जानकारी जुटाने के लिए और अधिक काम करने की जरूरत है क्योंकि अंतरिक्षयान के साथ आखिरी संपर्क अगस्त, 2009 में हुआ था.
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