हरदा: जुलाई 2013 में, मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रहटगांव थाना क्षेत्र में एक पिता द्वारा अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। तत्पश्चात, पुलिस ने राजसिंह (बदला हुआ नाम) की तलाश शुरू की, किन्तु काफी प्रयासों के बाद भी उसका कोई सुराग नहीं प्राप्त हो सका। जनवरी 2017 में, गुमशुदा के पिता ने विशेष सत्र न्यायालय हरदा में परिवाद दायर किया, जिसमें गांव के पांच लोगों पर अपने बेटे की हत्या कर लाश को गायब करने का आरोप लगाया।
अदालत ने अगस्त 2017 में पुलिस को केस दर्ज करने के निर्देश दिए, जिसके आधार पर आरोपियों के खिलाफ रहटगांव थाना में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाना), 506 (धमकी), और एससी/एसटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया गया। हालांकि, पुलिस की जांच के दौरान हत्या से जुड़े कोई ठोस सबूत नहीं मिले, और अगस्त 2019 में केस बंद कर दिया गया। पीड़ित पिता ने पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट होकर फरवरी 2021 में केस बंद करने के फैसले को चुनौती दी तथा दोबारा जांच की मांग की। इसके बाद, 2023 में मामले की दोबारा तहकीकात आरम्भ की गई। SDOP आकांक्षा तलया ने बताया कि सितंबर 2023 में उन्हें इस प्रकरण की जांच सौंपी गई, किन्तु गुमशुदा के परिजनों, ग्रामीणों और संदिग्धों से पूछताछ करने के बावजूद कोई खास जानकारी नहीं मिली। फिर भी, पुलिस निरंतर प्रयास करती रही।
तहकीकात के चलते यह पता चला कि गुमशुदा राजसिंह का किसी से कोई व्यक्तिगत विवाद नहीं था, किन्तु उसका रहन-सहन और बात करने का तरीका किन्नर जैसा था। इस नई जानकारी के आधार पर पुलिस ने हरदा एवं आसपास के जिलों की किन्नर टोलियों से फोटो दिखाकर पूछताछ की। मुखबिर तंत्र को सक्रिय किया गया, तथा राजसिंह के दिल्ली और पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों में किन्नर के रूप में रहने की जानकारी मिली। हरदा पुलिस की एक टीम ने दिल्ली पहुंचकर 11 वर्ष पश्चात् राजसिंह को जीवित और सुरक्षित ढूंढ निकाला। पूछताछ के चलते, राजसिंह ने बताया कि उसके व्यवहार और रहन-सहन के कारण गांव वाले उसका मजाक उड़ाते थे, जिससे वह तंग आकर घर छोड़कर भाग गया था। उसने कहा कि अब वह अपने परिवार के साथ नहीं रहना चाहता तथा उसने अपने लिए एक अलग दुनिया बनाई है, जिसमें वह रहना चाहता है।
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