दादा साहब अवार्ड से सम्मानित होते ही भावुक हुए मिथुन, कह डाली दिल की बात

दादा साहब अवार्ड से सम्मानित होते ही भावुक हुए मिथुन, कह डाली दिल की बात
Share:

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को मंगलवार को भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया। यह सम्मान भारतीय सिनेमा में उनके अतुल्य योगदान और उत्कृष्ट अभिनय के लिए दिया गया। इस खास मौके पर मिथुन ने अपनी जिंदगी के संघर्षों को याद किया और बताया कि उन्होंने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कितनी मुश्किलों का सामना किया है।

फिल्म इंडस्ट्री में रंग को लेकर हुईं परेशानियां

मिथुन चक्रवर्ती ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया कि जब वह फिल्म इंडस्ट्री में आए, तो लोग उनकी रंगत को लेकर तरह-तरह की बातें करते थे। उन्होंने कहा, "लोग कहते थे कि फिल्म इंडस्ट्री में काला रंग नहीं चलेगा। तुम वापस जाओ, तुम्हारे लिए यहां कोई जगह नहीं है।" मिथुन ने यह भी साझा किया कि उन्हें "कालिया" कहकर बुलाया जाता था, और इसका उन्हें गहरा दुख था। वह भगवान से शिकायत करते थे कि उनके हिस्से में केवल संघर्ष ही क्यों आया। मिथुन ने कहा, "मुझे भगवान से हमेशा शिकायत रही कि मुझे कुछ भी आसानी से नहीं मिला। हर चीज के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। मैंने भगवान से कहा, आपने मुझे नाम और शोहरत दी, लेकिन इतनी परेशानियां क्यों?"

रंग से नहीं, डांस से पहचाना गया

इस अपमान और संघर्ष के बावजूद, मिथुन ने हार नहीं मानी। उन्होंने तय किया कि अगर उनकी रंगत के कारण लोग उन्हें स्वीकार नहीं कर रहे हैं, तो वह अपने डांस से उन्हें प्रभावित करेंगे। उन्होंने कहा, "मैंने सोचा कि मैं ऐसा डांस करूं कि लोग मेरे पैरों को देखें, मेरी स्किन को नहीं। और मैंने वही किया।" मिथुन का डांस स्टाइल और आत्मविश्वास ने लोगों का ध्यान खींचा, और धीरे-धीरे लोगों ने उनकी रंगत को भूलकर उन्हें उनके अभिनय और डांस के लिए प्यार करना शुरू किया। मिथुन ने कहा, "मैंने अपनी हर फिल्म में यही कोशिश की, और आखिरकार लोग मेरा रंग भूल गए और मुझे ‘सेक्सी, सांवला बंगाली बाबू’ के नाम से जानने लगे।"

राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने के बाद घमंड की कहानी

मिथुन ने अपने करियर के शुरुआती दिनों की एक घटना भी साझा की, जब उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था। उस समय, उन्होंने खुद को बेहद खास महसूस किया और उन्हें लगा कि अब उनके लिए बड़े निर्माता और निर्देशक लाइन में लग जाएंगे। मिथुन ने कहा, "मुझे घमंड हो गया था कि मैंने कुछ बड़ा हासिल कर लिया है। मुझे लगा कि मैं अल पचीनो जैसा हो गया हूं।"

हालांकि, उनके इस घमंड के कारण उन्हें एक प्रोड्यूसर के ऑफिस से बाहर निकाल दिया गया। इस घटना ने मिथुन को सिखाया कि सफलता के साथ विनम्रता का होना कितना जरूरी है। उन्होंने कहा, "उस दिन के बाद, मैंने अल पचीनो की तरह व्यवहार करना छोड़ दिया और खुद को फिर से जमीन पर उतारा।"

नए कलाकारों के लिए सलाह

मिथुन चक्रवर्ती ने इस मौके पर यंग स्ट्रगलिंग एक्टर्स के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा, "हमारे देश में कई प्रतिभाशाली लोग हैं, लेकिन उनके पास पैसा नहीं है। मैं उनसे कहना चाहूंगा कि पैसा नहीं हो, तो भी उम्मीद मत खोइए। सपने देखते रहिए और मेहनत करते रहिए। सोइए, लेकिन अपने सपनों को सोने मत दीजिए।" मिथुन चक्रवर्ती की कहानी यह साबित करती है कि सफलता का रास्ता कभी आसान नहीं होता। उनके जीवन का हर कदम संघर्ष से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनके संघर्ष, डांस और अभिनय ने उन्हें वो मुकाम दिलाया, जहां आज उन्हें देश का सबसे बड़ा फिल्म सम्मान मिल रहा है।​ मिथुन चक्रवर्ती की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाईयों और अपमान के बावजूद अगर हम अपने हुनर और मेहनत पर विश्वास रखें, तो कोई भी बाधा हमारे रास्ते में नहीं आ सकती। उनका संघर्ष उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सपने देखते हैं और अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

अमिताभ बच्चन को अपने पिता का पुनर्जन्म मानते थे हरिवंश राय, खुद किया खुलासा

रतन टाटा ने प्रोड्यूस की थी फिल्म, अमिताभ बच्चन ने निभाया था लीड रोल

3 महीने में 194 नक्सली ढेर..! अमित शाह बोले- अंतिम साँसें गिन रहा नक्सलवाद

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -