आइज़वाल: 28 नवंबर मिजोरम विधानसभा चुनावों के लिए अभियान पूरी तरह से चल रहा है, हालांकि 40 सदस्यीय सदन को मतदान के लिए अधिसूचना जारी नहीं की जा रही है. इस बार दांव बहुत अधिक है क्योंकि मिजोरम एकमात्र उत्तर-पूर्वी राज्य है जिसमें कांग्रेस की सरकार है और बीजेपी जो त्रिपुरा से सीपीआई (एम) को हटाने के बाद उत्साहित है, ईसाई-वर्चस्व वाले राज्य में घुसपैठ करने के इच्छुक है.
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मुख्यमंत्री लाल थहानवाला उनके कैबिनेट सहयोगियों और शीर्ष मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) के नेताओं ने पहले से ही राज्य में चुनावी अभियान को शुरू कर दिया है और इसी तरह भाजपा के नेतृत्व वाले नेडा के हिस्से (उत्तर पूर्व डेमोक्रेटिक गठबंधन) और सत्तारूढ़ पार्टी के विपक्षी दल मुख्य विपक्षी दल मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने भी चुनावी बिगुल फूंक दिया है, जिसका नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा कर रहे हैं.
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आपको बता दें कि राज्य में कांग्रेस बीते दस वर्षों से सत्ता में काबिज है, लेकिन इस बार भाजपा यहां उसको सत्ता से बाहर करने के लिए एड़ी छोटी का ज़ोर लगा रही है. देश के पूर्वोत्तर का यही एक ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस सत्ता में है और भाजपा सत्ता से बाहर, बाकी के छह राज्यों में खुद अपने बूते या घटक दलों के सहारे बीजेपी सत्ता में है. जिसके चलते मिजोरम चुनाव और भी दिलचस्प हो गया है.
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