आइज़ोल: मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा को गृह मंत्री अमित शाह ने आश्वासन दिया है कि जब तक पड़ोसी देश में स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक किसी भी शरणार्थी को म्यांमार वापस नहीं भेजा जाएगा, जहां जुंटा, लोकतांत्रिक समर्थक विद्रोहियों से लड़ रहा है। अमित शाह ने सीएम लालडुहोमा को बताया कि हालांकि, भारत में रहने वाले प्रत्येक विदेशी के लिए अपना बायोमेट्रिक पंजीकरण कराना एक नियम है।
दिल्ली में रहते हुए लालदुहोमा ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उनके आवास पर मुलाकात की। पीएम मोदी ने मिजोरम के नए मुख्यमंत्री को हालिया राज्य चुनाव जीतने के लिए बधाई दी। लालडुहोमा ने पीएम मोदी से कहा कि म्यांमार के साथ सीमा पर उनकी सहमति के बिना जबरन सीमा थोपी गई है, और इसलिए यह सीमा के दोनों ओर एक ही जातीय समूह के लोगों के लिए अस्वीकार्य है। लालदुहोमा के पूर्ववर्ती ज़ोरमथांगा ने म्यांमार के नागरिकों को निर्वासित करने के केंद्र के निर्देश पर आपत्ति जताई थी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि वे म्यांमार के नागरिकों को निर्वासित नहीं करेंगे क्योंकि वे एक ही जातीय समूह से हैं, और मिजोरम मानवीय आधार पर उन्हें आश्रय देना जारी रखेगा।
मिजोरम ने सितंबर में फैसला किया कि वह अब हिंसा प्रभावित म्यांमार, खासकर भारत की सीमा से लगे चिन राज्य से आने वाले लोगों का बायोमेट्रिक्स डेटा एकत्र नहीं करेगा। अमित शाह के साथ बैठक में लालदुहोमा ने मिजोरम विधानसभा द्वारा पारित घरेलू पंजीकरण विधेयक का मामला उठाया, जिसे अभी तक राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली है। श्री शाह ने मिजोरम के नये मुख्यमंत्री से कहा कि उन्हें पहले विधेयक में संशोधन करना चाहिए।
बता दें कि, मिजोरम के पड़ोसी राज्य मणिपुर में संकट पिछले कुछ दशकों में म्यांमार से भारत में आने वाले अवैध अप्रवासियों और पहाड़ों में हजारों एकड़ में लगी अफीम की खेती से पोषित मादक पदार्थों के तस्करों के एक विशाल नेटवर्क पर निर्भर है। केंद्र ने फ्री मूवमेंट रिजीम (एफएमआर) को फिलहाल खत्म करने का फैसला किया है, जो भारत-म्यांमार सीमा के करीब के लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी तक जाने की अनुमति देता है।
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