सांसदों, विधायकों के वकालत पर लगे प्रतिबंध

सांसदों, विधायकों के वकालत पर लगे प्रतिबंध
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नई दिल्ली. बीजेपी  नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने बीसीआइ के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा को पत्र लिख कर सांसदों और विधायकों के वकालत करने पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है. अश्विनी कुमार ने पत्र में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी डा. हंसराज एल चुलानी बनाम बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र के मामले में पेशेवर कदाचार के मामले में दिशा-निर्देश जारी किया था. सांसद और विधायक लोकसेवक के दायरे में आते हैं. 

पत्र में कहा गया है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के सदस्यों को अदालत में वकालत करने की इजाजत नहीं है लेकिन जनप्रतिनिधियों को लोकसेवक होने के बावजूद वकालत की अनुमति है. ये संविधान के अनुच्छेद 14 व 15 में दिये गए समानता के सिद्धांत के खिलाफ है.

मनन कुमार मिश्रा ने पत्र की बात स्वीकार करते हुए कहा कि 22 दिसंबर को बीसीआइ की जनरल काउंसिल की बैठक होने वाली है. उस बैठक के एजेंडे में इस पत्र में उठाए गए मुद्दे को शामिल किया गया है. सरकारी नौकरी कर रहे शख्स को वकालत करने का अधिकार नहीं है भले ही वह राज्य की बार काउंसिल में पंजीकृत हो. उसे अपने वकालत के लाइंसेंस को स्थगित कराना पड़ता है. सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि वकालत एक पूर्णकालिक पेशा है. यह पार्ट टाइम पेशा नहीं है.

डाक्टर हो या चार्टर्ड एकाउंटेंट उसे यदि वकालत करनी है तो डाक्टरी या एकाउंटेंसी छोड़नी होगी. लोस सदस्यों के अलावा राज्यसभा के सदस्य और विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य देश के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनका दायित्व कानून बनाना, विधायिका में पेश विधेयकों पर चर्चा करना है.

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