आतंकवाद के साए से जूझ रहे अफगानिस्तान में आंतरिक हालात बहुत ही खराब हो चुके हैं, जिसका असर देश के बच्चों की शिक्षा पर भी पढ़ा है लेकिन मौत के डर को पीछे छोड़ते हुए 25 साल की फ्रेशता करीम यहां एक मोबाइल लाइब्रेरी चला रहीं हैं. फरिश्ता रोजाना बस पर सवार होकर राजधानी काबुल में घूमती हैं और बच्चों को बस में बनी इस लाइब्रेरी में किताबें पढ़ने का मौका देती हैं.
यूनेस्को के मुताबिक अफगानिस्तान दुनिया के ऐसे मुल्कों में शामिल है जहां साक्षरता दर सबसे कम है और यहाँ हर 10 में से तीन व्यक्ति ही साक्षर हैं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ग्रेजुएट फ्रेशता करीम का मकसद देश के उन बच्चों तक किताबें पहुंचाना है, जो आज किसी न किसी वजह से स्कूल नहीं जाते. फ्रेशता बताती हैं कि बचपन में उनका मन कहानी की किताबों को पढ़ने का करता था. लेकिन उनके पास लाइब्रेरी जाकर ऐसी किताबों को पढ़ने का मौका नहीं होता था. वो कहती हैं कि मेरा मकसद इन बच्चों की सोच में न सिर्फ गंभीरता लाना है बल्कि इन्हें इस लायक बनाना है कि अगर वे अपने आसपास कुछ गलत होता हुआ देंखे तो सवाल कर सकें.
फ्रेशता ने अपने तीन दोस्तों की मदद से जनवरी में इस बस को शुरू किया. उन्होंने सबसे पहले बस को किराये पर लिया. उस पर रंगों की पुताई की और बच्चों को आकर्षित करने के लिए सितारे और गुब्बारे भी लगा दिए. इस बस में खिड़की के ऊपर बुकशेल्फ लगाए गए हैं और बच्चों के बैठने के लिए मेज, कुर्सी की व्यवस्था की गई है. फ्रेशता के मुताबिक, वे चाहते हैं कि लोग सोचें और विचार करें.
काबुल के लोगों ने बस में चलने वाली इस लाइब्रेरी का स्वागत किया है. यह लाइब्रेरी वाली बस तीन-चार घंटे तक एक स्टॉप पर रुकती है ताकि बच्चे यहां आकर किताबों को पढ़ सकें. इस लाइब्रेरी को अफगान बच्चे पसंद कर रहे हैं. साथ ही इस लाइब्रेरी के आने का इतंजार करते रहते हैं.
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