मॉडर्ना ने 6 माह सहित 12 वर्ष से नीचे के बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू कर दिया है। कंपनी ने कहा कि अमेरिका और कनाडा से 6 हजार 750 स्वस्थ बच्चों को शामिल करने का मकसद है। इससे पहले उसने वैक्सीन का मानव परिक्षण 12-17 वर्षीय बच्चों पर किया है, लेकिन नतीजों की घोषणा कर दी है।
12 साल से कम उम्र बच्चों पर वैक्सीन का मानव परीक्षण: शोधकर्ता छोटे बच्चों के साथ मानव परीक्षण शुरू कर वैक्सीन का रिस्पॉन्स देख रहे है। मॉडर्ना ने अपने रिसर्च को 2 भागों में करने की बात बोली है। पहले हिस्से में 2-12 वर्ष के मध्य बच्चे शामिल होंगे और उन्हें दो डोज लगाया जानें वाला है। कंपनी ने बताया कि हर डोज 50 या 100 माइक्रोग्राम होने वाले है। जबकि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को 25, 50 या 100 माइक्रोग्राम का 2 डोज दिया जा सकता है। परीक्षण के दूसरे चरण में चुनिंदा डोज बच्चों को लगवाया जानें वाला है। शोधकर्ता वैक्सीन के प्रभाव को जांचने के लिए दूसरे टीकाकरण के उपरांत प्रतिभागियों की एक साल मॉनिटरिंग करने वाले है। जिसके उपरांत अंतिरम विश्लेषण इस बात का पता लगाने के लिए किया जाएगा कि सबसे अच्छा डोज हर ग्रुप के लिए क्या हो।
मासूम समेत बच्चों 12 साल से कम उम्र के होंगे प्रतिभागी: बच्चों में बीमारी की गंभीरता या कोरोना वैक्सीन से मरने की संभावना व्यस्कों के मुकाबले बहुत निम्न देखने को मिली है, लेकिन उनकी क्षमता दूसरों तक वायरस फैलाने की होती है। महामारी रोग विशेषज्ञों का बोलना है कि आबादी के इस वर्ग का टीकाकरण जरूरी है। मॉडर्ना ने इस सप्ताह अपनी वैक्सीन की 'अगली पीढ़ी' के शुरुआती मानव परीक्षण में पहले मरीजों को डोज लगाने की घोषणा की है।
MRN नाम से नई वैक्सीन को फ्रीजर के बजाए रेफ्रिजेरेटर में संभावित तौर पर रखा जाने वाला है, जिससे उसका वितरण और टीकाकरण खासकर विकासशील देशों में अधिक आसान हो जाता है। मॉडर्ना की दो डोज वाली वैक्सीन कोरोना के विरुद्ध अमेरिका में उपयोग के लिए स्वीकृत 3 वैक्सीन में से एक है। 2 अन्य वैक्सीन में एक फाइजर-बायोएनटेक की विकसित और दूसरी जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वाली को हरी झंडी मिल चुकी है।
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