नई दिल्ली: मोदी सरकार ने गुरुवार को कैबिनेट बैठक में 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिससे यह प्रस्ताव अब एक वास्तविकता के रूप में सामने आया है। इस विधेयक के तहत भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की योजना है। सूत्रों के अनुसार, अब सरकार इस बिल को संसद के पटल पर रख सकती है। इसके साथ ही, सरकार ने इस विषय पर चर्चा एवं सभी दलों के सुझाव प्राप्त करने के लिए एक जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) के गठन की भी योजना बनाई है। तत्पश्चात, यह बिल संसद में पेश किया जाएगा और उम्मीद है कि इसे जल्द ही पारित भी करवा लिया जाएगा।
वही इससे पहले, रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी ने इस मुद्दे पर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया था कि भारत में वर्तमान में विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, जो समय और संसाधनों की बर्बादी का कारण बनते हैं। ऐसे में एक साथ चुनाव कराने की योजना पर विचार किया गया है, जिससे चुनाव प्रक्रिया को अधिक व्यवस्थित और कुशल बनाया जा सके।
'एक देश, एक चुनाव' के लाभ
'एक देश, एक चुनाव' का विचार भारत में लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य चुनावों की आवृत्ति को कम करना तथा संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल करना है। वर्तमान में, भारत में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, पंचायतों और स्थानीय निकायों के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। इससे चुनावों की संख्या बढ़ जाती है तथा प्रशासन को बार-बार चुनावी तैयारी करनी पड़ती है।
इस प्रस्ताव के तहत, लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होने की संभावना है। इसका मतलब होगा कि देश में हर 5 वर्षों में एक बार एक ही समय पर चुनाव होंगे। इस प्रणाली को लागू करने से चुनावों की लागत कम हो सकती है, चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ सकती है और वोटरों के लिए चुनावों के महत्व को समझने में आसानी हो सकती है।
इतिहास और पिछला अनुभव
भारत में एक साथ चुनावों का इतिहास भी है। 1952 से लेकर 1967 तक भारत में लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे। यह प्रणाली तब तक सफल रही जब तक 1968-69 में कुछ राज्यों में विधानसभाओं का भंग होना नहीं हुआ। इसके बाद से चुनावों के अलग-अलग वक़्त पर आयोजन का सिलसिला शुरू हुआ। 1967 के बाद से चुनावों की तारीख बदलने की वजह से एक साथ चुनावों का होना संभव नहीं हो पाया।