नई दिल्ली: सरकार प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के द्वितीय चरण के तहत किसानों को उर्वरक सब्सिडी सीधे उनके बैंक अकाउंट में देने का विचार कर रही है। उर्वरक मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी। अक्टूबर 2017 में उर्वरक डीबीटी का प्रथम चरण आरंभ किया गया था, जिसके तहत पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों के जरिए दर्ज खुदरा बिक्री के अंकड़ों की जांच के बाद कंपनियों को सब्सिडी ट्रांसफर की जा रही है।
डीबीटी के द्वितीय चरण में नीति आयोग से राय-मशविरे के बाद खाद सब्सिडी की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में डालने का कार्य किया जाना था। सरकार किसानों को सस्ता कृषि पोषण पदार्थ उपलब्ध कराने के लिए उर्वरक सब्सिडी के रूप में वार्षिक 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बोझ वहन करती है। अधिकारी ने कहा कि, 'हम सीधे किसानों के बैंक खातों में उर्वरक सब्सिडी देने का प्रयास कर रहे हैं। अब हम चरण दो चरणों में कार्यान्वयन के लिए तैयार हैं। इसे कब और कैसे लागू किया जाए, इस पर मंथन चल रहा है।'
इसके साथ ही, सरकार खुदरा विक्रेताओं को सुचारू संचालन के लिए पीओएस मशीनों के साथ डेस्कटॉप या लैपटॉप का इस्तेमाल करने की इजाजत देकर वर्तमान उर्वरक डीबीटी में कुछ सुधार लाने का प्लान बना रही है। अधिकारी ने कहा कि, 'अब, डीबीटी प्लैटफॉर्म पीओएस मशीन पर आधारित है। हम डेस्कटॉप या लैपटॉप संस्करण के साथ आ रहे हैं। चूंकि पीओएस मशीन में स्क्रीन छोटी होती है, खुदरा विक्रेताओं को कभी-कभी परिचालन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पीओएस के साथ ही खुदरा विक्रेताओं के पास डेस्कटॉप या लैपटॉप हो सकते हैं।' उन्होंने कहा कि देश में 2.25 लाख उर्वरक खुदरा विक्रेता हैं, पीओएस मशीनों को समाप्त नहीं किया जाएगा।
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