नई दिल्ली: मोहम्मद आमिर उर्फ बलबीर सिंह ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी के उस बयान का जवाब दिया है, जिसमें उन्होंने अयोध्या फैसले में मस्जिद निर्माण के लिए मिली 5 एकड़ भूमि को खैरात बताया था। बलबीर सिंह कारसेवक रहे थे, जो बाबरी विध्वंस में शामिल थे। बाद में पछतावे में उन्होंने मुस्लिम धर्म अपना लिया था। तब से उन्हें मोहम्मद आमिर नाम से पुकारा जाता है।
शीर्ष अदालत ने शनिवार को अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का इंतज़ाम किया जाए। अदालत के इस फैसले पर ओवैसी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि मुस्लिम समाज अपने कानूनी अधिकार की लड़ाई लड़ रहा है और उसे कतई किसी खैरात की आवश्यकता नहीं है। ओवैसी ने एक बयान में कहा था कि, 'हम लोग अपने कानूनी हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। मेरे खयाल से हमें 5 एकड़ भूमि का प्रस्ताव ठुकरा देना चाहिए। हमें किसी सरपरस्ती की आवश्यकता नहीं है।'
असदुद्दीन ओवैसी की इस तीखी प्रतिक्रिया के एक दिन बाद मोहम्मद आमिर ने उन्हें नसीहत देते हुए कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को जो जमीन मस्जिद निर्माण के लिए मिली है, वह कोई खैरात नहीं बल्कि मुआवजा है। आपको बता दें, 1 दिसंबर 1992 को आमिर उन कारसेवकों में थे, जो पूरे देश से अयोध्या पहुंचे थे। उसी वर्ष 6 दिसंबर को, जैसा कि आमिर कहते हैं, वे बाबरी मस्जिद के गुंबद पर चढ़ने वाले पहले शख्स थे। इसके बाद जब वे अपने गांव पहुंचे थे, तो उनका किसी नायक की तरह स्वागत किया गया था। बाद में उन्हें आत्मग्लानि हुई और उन्होंने इस्लाम अपना लिया और इस्लाम की शिक्षाओं को प्रसारित करने में लग गए।
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