नागपुर : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डाॅ. मोहन भागवत ने विजयादशमी के पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारियों और सदस्यों को संबोधित किया इस दौरान उन्होंने कहा कि गुरूगोविंदसिंह जी का यह 350 वां प्रकाशपर्व वर्ष है उन्होंने धर्म के लिए जीवनभर संघर्ष किया। हिंद की शान के लिए अपने चार पुत्रों का बलिदान कर दिया। सतत सघर्ष और बलिदान कर देश का झंडा उंचा रखा।
उन्होंने विदर्भ के महाराज श्री गुलाबराव महाराज का उदाहरण देते हुए कहा कि ब्रिटिश राज व्यवस्था में भी उन्होंने देश में जागृति का अलख जगाया। आध्यात्म और विज्ञान के समन्वय की बात कही। भारतीय आध्यात्म में वे सभी बातें निहित हैं जो कि विज्ञान में कही गई हैं। डाॅ. भागवत ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति जब हम देखते हैं तो ये महापुरूष प्रासंगिक नज़र आते हैं। आज यह देखने में आता है कि अभी जो शासन चल रहा है वह कुछ करने के लिए प्रयत्नशील है।
ऐसा लगता है कि वे कुछ करेंगे। भारत आगे बढ़ रहा है। इस बात को सभी मान रहे हैं। अप्रत्यक्षतौर पर उन्होंने मोदी सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्व समन्वय से ही चल सकता है। उनका कहना था कि कुछ लोगों को भारत का आगे बढ़ना और प्रगतिवादी सरकार का काम करना सुहाता नहीं है। अपने जाति और पंथ के लोगों द्वारा किसी प्रकार से कुछ कहा जाता है तो वह सहन नहीं किया जात है।
उन्होंने कहा कि कई बार प्रयास किया जाता है कि देश के जो लोग एक हो रहे हैं वे एक न हों इस बात की वे कोशिश करते रहते हैं। परंपरा रीति रीवाज को लेकर भ्रम पैदा करते हैं। उन्होंने गौरक्षा का प्रसंग उठाते हुए कहा कि जैन समाज तक गौ रक्षा का कार्य कर रहा है। संविधान के मार्ग दर्शक तत्वों में निर्देश है कि गौर संरक्षण और गौसंवर्धन की ओर बढ़ो। कई ऐसे बहुसंख्यक लोग हैं जहां पर किसान गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग कर ही खेती करते हैं।
उन्होंने यवतमाल के एक गांव का उल्लेख करते हुए कहा कि गोमूत्र और गोबर के आधार पर वे खेती करते हैं यह विज्ञान सम्मत है। इस तरह का कार्य वहां किया जा रहा है। उन्होंने गौर रक्षकों को लेकर कहा कि गौरक्षक भले लोग हैं। मगर इन गौरक्षकों को आंदोलन करना पड़ता है जिससे जो कानून गौवंश की रक्षा के लिए बने हैं उनका पालन हो। यदि कानून का पालन नहीं होता है तो कुछ घटनाऐं घटती हैं।
उन्होंने कहा कि प्रशासन को ध्यान रखना चाहिए कि समाज में वैमनस्य न फैलाते हुए इस प्रकार के प्रयास हों। मगर कुछ उपद्रवी शक्तियां कोशिश में लगती हैं कि देश में बवंडर पैदा हो जाऐं। उन्होंने जम्मू - कश्मीर को लेकर बात की कि यहां की परिस्थितियां चिंता बढ़ाने वाली हैं लेकिन हमारे कार्यकर्ताओं और नेताओं का संकल्प शक्तिशाली है। उन्होंने कहा कि सारा कश्मीर भारत का है। इस बात का महत्व है और इसे व्यवहार में भी लाया जाना चाहिए।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उल्लेख करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर को विजय के साथ विश्वास की आवश्यकता है। उनका कहना था कि इस मसले पर सफलता से कार्य करने के लिए केंद्र और राज्य में समन्वय की जरूरत है। दोनों ही शक्तियों को हिंसा रोकने के प्रयास करने चाहिए। कई बार विकास के कार्य नहीं होते हैं। वहां के लिए आवंटित राशि कहीं पहुंच ही नहीं पाती है। इन सभी बातों पर ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडित शरणार्थियों के तौर पर राज्य से बाहर रह रहे हैं। भारत के हिंदू समुदाय को न्याय दिलवाना होगा। शासन के नेतृत्व में सेना ने जो काम कर दिखाया है वह सराहनीय है। जो बार बार शत्रुता करता है उस देश को अलग-थलग कर दिया। एक तरह से हमने अभिनंदनीय कार्य किया है।
डाॅ. भागवत ने कहा कि सीमा की सुरक्षा में एक क्षण की ढिलाई भारी पड़ सकती है। सर्जिकल स्ट्राइक की तारीफ करते हुए भागवत ने कहा कि सेना ने हिम्मत का काम किया। सीमाओं की सुरक्षा की तैयारी पक्की और सदैव जागृत होना चाहिए। हमारा सूचना तंत्र सामरिक प्रयास, सेना सभी में समन्वय की आवश्यकता है। डाॅ. भागवत ने सीमा पार से आने वाली परेशानियों का उल्लेख करते हुए कहा कि नशीले पदार्थों की तस्करी, नक्सलवाद जैसी बातों को भी हमें रोकना होगा।
सीमा सुरक्षा का कार्य चलते रहना चाहिए। गौरतलब है कि विजयादशमी के इस पर्व पर देशभर में आरएसएस के कार्यकर्ता अपने नए गणवेश को धारण कर शस्त्र पूजन और पथसंचलन के लिए एकत्रित हुए हैं। यह विजयादशी का पर्व आरएसएस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। डाॅ. भागवत ने शस्त्र पूजन के बाद आरएसएस के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।