नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि देश के बंटवारे की पीड़ा का समाधान बँटवारे को रद्द करना ही है। गुरुवार (25 नवंबर 2021) को नोएडा में कृष्णा नंद सागर द्वारा लिखी गई किताब ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ के लोकार्पण समारोह के दौरान संघ प्रमुख ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि यह 2021 का भारत है, 1947 का नहीं। एक दफा बंटवारा हो चुका है, अब दोबारा ऐसा नहीं होगा।
भागवत ने कहा कि, 'आपकी पूजा बदल गई, इससे हमको कोई अंतर नहीं पड़ता, क्योंकि हमारे यहाँ जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी वाली परंपरा रही है। अगर आपको लगता है कि पूर्वजों के घर में आना चाहिए, तो आइए, हम लेने के लिए बिलकुल तैयार हैं। नहीं, लगता तो आप अपनी पूजा में लगे रहो। आपकी पूजा का भी हम संरक्षण करेंगे। लेकिन अलगाव नहीं चलेगा। मातृभूमि हमारी शक्ति है। वो संपत्ति नहीं है, जिसे आप तोड़कर माँग रहे हो। उसे किराए पर नहीं दिया जा सकता, उसे बेचा नहीं जा सकता। वो हमारी मातृभूमि है। आपको भी उसके साथ उसी भाव से रहना होगा।'
संघ प्रमुख ने कहा कि, 'एक योजनाबद्ध साजिश रची गई। हमने समझौता करने के लिए सब कुछ छोड़ दिया। हमने अपने राष्ट्रध्वज का रंग भी इसलिए बदल दिया, क्योंकि उन्हें बुरा लगेगा। हमने सीधे देश में दरार डालने वाली माँग इसलिए मंजूर कर ली, क्योंकि उनको बुरा लगेगा। ‘हँस कर लिया पाकिस्तान, लड़ कर लेंगे हिंदुस्तान’ की इच्छा रखने वालों को बताना चाहता हूँ कि मैं पूरे देश घूमता हूँ। आपको बताता हूँ कि ये 2021 है, 1947 नहीं। भारत का बंटवारा एक बार संभव हो चुका। एक बहुत बड़ी ठोकर हमारे समाज ने खाई, लहूलुहान हो गया, पीड़ा से कुलबुला उठा। मगर अब वो इस बात को कभ नहीं भूलेगा। इसलिए भारत का बंटवारा अब संभव नहीं। कोई इसकी कोशिश करेगा तो उसके टुकड़े होंगे।'
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