कर्ज की दलदल से निकलने के लिए मोहन सरकार फिर लेने जा रही है भारी कर्ज, जानिए पूरा प्लान

कर्ज की दलदल से निकलने के लिए मोहन सरकार फिर लेने जा रही है भारी कर्ज, जानिए पूरा प्लान
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भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार को अब फ्री-बीज मतलब मुफ्त की योजना भारी पड़ रही है. फ्री की योजना से सरकार के खजाने पर भी प्रभाव पड़ रहा है. खजाना दिन पर दिन कर्ज की दलदल में चला जा रहा है. अब प्रश्न यह उठने लगा है कि आखिर प्रदेश सरकार कर्ज से बाहर कैसे आएगी? ऐसे में खजाने को कर्ज की दलदल से बचाने के लिए मोहन सरकार एक बार फिर से भारी कर्ज लेने जा रही है. यह कर्ज 88 हजार 540 करोड़ रुपए का होगा. मोहन सरकार 73 हजार 540 करोड़ रुपए बाजार से और 15 हजार करोड़ रुपए केंद्र सरकार से लेगी.

प्रदेश सरकार लाड़ली बहना योजना पर प्रत्येक वर्ष 18 हजार करोड़ रुपए खर्च करती है. इसके अतिरिक्त 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली देने में 5 हजार 500 करोड़ रुपए का खर्च आता है. वहीं, कृषि पंपो पर 17 करोड़ रुपए की सब्सिडी मध्य प्रदेश सरकार देती है जबकि, 450 रुपए सिलेंडर देने की योजना के लिए 1000 करोड़ रुपए की आवश्यकता होती है. वहीं, फ्री-बीज मुक्त योजनाओं का खर्चा भी प्रत्येक वर्ष 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा रहता है. वर्ष 2021 -22 में कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर खर्चा 59,662 करोड़ रुपए था, जो कि 24.78 प्रतिशत रही थी. वर्ष 2023-24 में यह 82.838 करोड़ रुपए पहुंच गया जो कि बजट का 27.43 फीसदी ज्यादा है. इतना ही नही जनरल प्रोविडेंट फंड में भी बहुत नुकसान हुआ है. 2023-24 में कर्मचारियों के जीपीएफ में 4 हजार 949 करोड़ रुपए जमा हुए हैं, जबकि भुगतान 5 हजार 563 करोड़ रुपए का हुआ. यानी 614 करोड़ रुपए ज्यादा भुगतान करना पड़ा है.

वही इस बार सरकार जो 88 हजार 540 करोड़ रुपए का कर्ज ले रही है, बीते वित्तीय वर्ष के मुकाबले यह कर्ज 38 प्रतिशत अधिक है. सरकार ने वर्ष 2023-24 वित्त वर्ष में 55 हजार 708 रुपए का कर्ज लिया था. कांग्रेस ने इसे लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. इस पर प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने बताया कि कांग्रेस के पास कुछ नहीं है. पहले की चल रही कोई योजना बंद नहीं करेंगे. सरकार की फिलहाल कुल आय 2.52 लाख करोड़ रुपए है जबकि, उसका राजस्व खर्चा 2.51 लाख करोड़ रुपए है. सरकार की आय की तुलना में खर्चा अधिक हो रहा है. हालाँकि, रिपोर्ट्स से जानकारी मिली है कि, राज्य सरकार का ये कर्ज RBI की गाइडलाइन्स का पूरा पालन करते हुए ही लिया जा रहा है.  रिजर्व बैंक के मुताबिक, किसी भी राज्य पर कर्ज उसकी जीडीपी के 30% से ज्यादा नहीं होना चाहिए, मध्य प्रदेश बस इसी लिमिट के आसपास है.

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