भोपाल: मध्य प्रदेश वन विभाग ने जंगली हाथियों के संरक्षण और पुनर्वास के कार्यों के बेहतर प्रबंधन के लिए एक नई हाथी सलाहकार समिति (एलीफेंट एडवाइजरी कमेटी) का गठन किया है। यह कदम बीते महीने मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (बीटीआर) में 10 हाथियों की संदिग्ध मौत के बाद उठाया गया। वन विभाग के अफसरों ने बताया कि समिति का गठन हाथियों के बचाव, उनकी देखभाल और पुनर्वास कार्यों को बेहतर तरीके से संचालित करने के उद्देश्य से किया गया है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) वीकेएन अंबाडे ने एक न्यूज एजेंसी से फोन पर चर्चा करते हुए कहा, "अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति के गठन के लिए बुधवार को आदेश जारी किया गया है।" उन्होंने बताया कि समिति में बाघ अभयारण्यों के क्षेत्र निदेशक तथा भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून से एक हाथी विशेषज्ञ भी सम्मिलित होंगे। अफसर ने कहा, "यह समिति हाथियों को पकड़ने और उनके पुनर्वास के बारे में सलाह देगी, जिससे जंगल में हाथियों के प्रबंधन में सुधार होगा। आप जंगली हाथियों को हमेशा के लिए कैद में नहीं रख सकते।"
उन्होंने यह भी कहा, "समिति की सलाह और विचार हाथियों के संरक्षण के लिए बिना किसी जल्दबाजी के उचित चर्चा करने में मदद करेंगे।" बीते हफ्ते बीटीआर में एक आक्रामक हाथी ने दो लोगों को कुचलकर मार डाला तथा एक अन्य व्यक्ति को घायल कर दिया। रविवार शाम को इस हाथी को बेहोश करके पकड़ा गया, जो 34 घंटे से ज्यादा वक़्त तक भागने के पश्चात् पकड़ा गया।
29 अक्टूबर को बीटीआर के खलील रेंज के अंतर्गत सांखनी एवं बकेली में चार जंगली हाथी मृत पाए गए, जबकि 30 अक्टूबर को चार और 31 अक्टूबर को दो और हाथियों की मौत हो गई। मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने इन मौतों के मामले में उच्च स्तरीय जांच दल द्वारा रिपोर्ट पेश किए जाने के पश्चात् रविवार को बीटीआर के दो वरिष्ठ अफसरों को लापरवाही के आरोप में ससपेंड कर दिया।
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