नई दिल्ली: स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट के बगैर POCSO act लागू होगा या नहीं, इस मामले पर शीर्ष अदालत आज गुरुवार को अहम फैसला सुनाएगी. न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट्ट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने इस मामले में सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद 30 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
दरअसल, बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच ने यौन उत्पीड़न के एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया गया था कि नाबालिग के प्राइवेट पार्ट्स को स्किन टू स्किन संपर्क के बिना टटोलना POCSO कानून के तहत नहीं आता. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इस मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय में उठाया था. इस मामले पर शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से याचिका दाखिल करने को कहा था. फिर इस याचिका का समर्थन करते हुए महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग, महाराष्ट्र सरकार समेत कई अन्य पक्षकारों की तरफ से दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई. 30 सितंबर को मामले की सुनवाई पूरी हो गई थी.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने अदालत में कहा था कि उच्च न्यायालय के फैसले का मतलब है कि यदि यौन उत्पीड़न के आरोपी और पीड़िता के बीच सीधे स्किन टू स्किन का संपर्क नहीं होता है, तो POCSO कानून के तहत यौन उत्पीड़न का मामला नहीं बनता. वेणुगोपाल ने सुनवाई के दौरान कहा था कि अदालत के इस फैसले से व्यभिचारियों को खुली छूट मिल जाएगी और उनको सजा देना बहुत पेचीदा और कठिन हो जाएगा.
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