हिन्दू धर्म में दिवाली, एक महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। इस त्यौहार के आने के पहले ही हर घर में उत्साह देखने को मिलता है। अन्य त्यौहारों की अपेक्षा यह त्यौहार इसलिए खास होता है क्योंकि इस दिन अगर सच्चे मन से पूजा अर्चना की जाये तो माता लक्ष्मी आपके घर पर दस्तक देती हैं। आज के समय में सभी की यही आस रहती है की वह धनवान बने। और आगे आने वाले जीवन को सुखपूर्वक जिए। लेकिन वह यह भूल जाते है की लक्ष्मी कभी भी एक स्थान पर नहीं रहती, यह निरतंतर चलती रहती है। कई व्यक्ति लक्ष्मी को रोक कर रखने की चाह करते है किन्तु इसका उन्हें दुखद परिणाम भी भुगतना पड़ता है। लक्ष्मी को रोकने के प्रयास में कई बार उन्हें सम्पूर्ण धन भी गवाना पड़ता है। पुराणो में माँ लक्ष्मी का स्वभाव चंचल बताया गया है। जिस कारण माँ लक्ष्मी को चंचला नाम से भी जाना जाता है। पुराणो के अनुसार
॥ दानं भोगो नाशस्तिस्त्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य। यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति ॥
धन की तीन गति होती है। यानी जो धन के साथ जो काम नहीं करते उनके धन का नाश तय है। अपनी धन सम्पदा को बचाने के लिए इस बात का खास ध्यान रखे की धन को कभी भी एक स्थान पर रोक कर नहीं रखना चाहिए। धन कभी भी एक स्थान पर नहीं रहता है। धन की गति को कभी भी नहीं रोकना चाहिए यह निरंतर चलते रहना चाहिए।
धन का सही लाभ लेने का सिर्फ यही एक उपाय है कि आप धन की गति को चलते दे, यानि धन का आदान प्रदान करते रहना चाहिए। धन को दान कर धर्म लाभ लेवे। यदि आप यह नहीं कर सकते है तो धन का सही उपयोग कर सांसारिक मुलभुत आवश्क्ताओ का आनंद ले। जो व्यक्ति इस तरह से धन का उपयोग नहीं करते है तो उनका धन बड़ी तेजी से नष्ट होता है। धन तो अपनी गति से नष्ट होता रहता है, इसलिए धन का सदुपयोग कर सांसारिक वस्तुओ का आनंद ले।
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