आज क्रिकेट की दुनिया में चकाचौंध है और बेशुमार पैसा इस खेल में लग रहा है, मगर एक जमाना था जब 40 के दशक में भारतीय क्रिकेटरों को एक टेस्ट मैच खेलने पर फीस के रूप में सिर्फ एक रुपया मिलता था. वे ट्रेन से यात्रा करते थे. इसके बाद फीस बढ़कर पांच रुपए हुई. इसके बाद 1955 के आसपास भारतीय टीम के क्रिकेटरों को 250 रुपए मिलने लगे. आज टीम इंडिया के ए प्लस ग्रेड के क्रिकेटर का सालाना कांट्रैक्ट सात करोड़ रुपए का हो चुका है. इसके अलावा हर मैच खेलने के लिए उन्हें लाखों रुपए की फीस अलग मिलती है.
भारतीय क्रिकेट के पूर्व कप्तान ने कुछ समय पहले बताया था कि 60 के दशक में भारतीय टीम के क्रिकेटरों को हर मैच के 250 रुपए मिलते थे. लेकिन कई बार ऐसा हो जाता था कि बीसीसीआई के पास इतने पैसे भी नहीं होते थे कि वो क्रिकेटरों की फीस की रकम उन्हें दे पाए. इसकी व्यवस्था वो किसी तरीके से करता था. क्रिकेटर तब ट्रेन से सफर करते थे. उन्हें मामूली होटलों में ठहराया जाता था. अब इसके उलट खिलाड़ियों हवाई जहाज से यात्रा करते हैं. वे पांच सितारा होटलों में ठहरते हैं.
यहां तक सत्तर के दशक तक भी भारतीय क्रिकेटरों को हर मैच के लिए दो हजार रुपए के आसपास की रकम मिलती थी. अस्सी के दशक में ये हर मैच करीब पांच हजार से दस हजार रुपए तक पहुंची.भारतीय टीम की ओर से 40 के दशक में खेलने वाले माधव आप्टे ने बीसीसीआई के 75 साल पूरे होने के अवसर पर एक समारोह में कहा था कि भारतीय टीम जब 40 के दशक में खेलती थी तो उसे हर मैच का केवल एक रुपया मिलता था. वो रकम भी लांड्री भत्ते के रूप में दिए जाते थे. इसके बाद ये रकम बढ़ाकर पांच रुपए प्रति टेस्ट मैच कर दी गई.
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