यमुना नदी में प्रदूषण का आकलन करने के लिये तैयार की गयी रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के यमुनोत्री से प्रयाग तक यमुना की लंबाई 1370 किमी है और दिल्ली के वजीराबाद से ओखला का 22 किमी का हिस्सा पूरी दूरी में केवल दो फीसदी है। इसी हिस्से में यमुना में सबसे ज्यादा प्रदूषण है, जो करीब 76 फीसदी है। उक्त जानकारी प्रदूषण आकलन के लिए बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में दी गई है। बाटे दे यह कमेटी एनजीटी के आदेश पर बनाई गई थी।
कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया था कि यमुना नदी जिंदा रहने के लिए संघर्ष कर रही है। कमिटी की रिपोर्ट में मुताबिक पानी की न्यूनतम आवश्यकता को पूरा किए बिना यनुमा को जिंदा रखना मुश्किल है, क्योंकि वजीराबाद से ओखला के बीच में कई हिस्से साल में करीब नौ माह सूखे रहते हैं। एनजीटी ने जुलाई 2018 में बीएस सजवान, दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव की मानीटरिंग कमेटी बनाते हुए यमुना की सफाई के लिए कारगर योजना बनाने और 31 दिसंबर तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।
22 किमी में है ज्यादा प्रदूषण
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पल्ला से ओखला तक यमुना केवल 54 कि मी क्षेत्र में बहती है और वजीराबाद से ओखला तक की दूरी 22 किमी है। यह दूरी कुल दूरी की लगभग दो फीसदी से भी कम है लेकिन इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा प्रदूषण है क्योकि यही वह क्षेत्र है जंहा सबसे ज्यादा घरेलू व औद्योगिक अपशिष्ट यमुना में गिरता है।
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