नई दिल्ली: योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा है कि वर्ष 2013 में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अध्यादेश फाड़ते समय सही शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया था। अहलूवालिया ने कहा है कि इसके बाद भी तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने इस्तीफा न देकर सही कार्य किया था।
मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में अहलूवालिया ने कहा कि यदि राहुल गांधी, मनमोहन मंत्रिमंडल के सदस्य होते तो दूसरी बात होती, किन्तु वे एक पार्टी के उपाध्यक्ष थे।" बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार ने योजना आयोग का नाम बदलकर नीति आयोग कर दिया है। उल्लेखनीय है कि 2013 में राहुल गांधी ने दोषी सांसद के मामले पर एक आर्डिनेंस को फाड़ दिया था। योजना आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने अपने नई पुस्तक बैकस्टेज : 'द स्टोरी ऑफ इंडियाज हाई ग्रोथ इयर्स' में इस घटना का विस्तार से जिक्र किया है।
इस मामले को लेकर मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि, "आपको एहसास होना चाहिए कि लोकतंत्र में एक पार्टी के भीतर असहमति होने में कुछ भी अनुचित नहीं है। मुझे लगता है कि कि एक ऐसी पार्टी को चलाने में बहुत योग्यता की आवश्यकता नहीं है, जहां हर किसी के विचार महज पार्टी के नेतृत्व की सोच से मेल खाते हों।" मोंटेक ने कहा कि, "मुझे लगता है कि राहुल गांधी ने स्वयं कहा है कि हो सकता है कि जो शब्द उन्होंने उपयोग किया है वो बहुत सही नहीं थे। मुझे लगता है कि राहुल ने पूरी तरह से बकवास चीजें कहीं ।
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