हिन्दू धर्म में मोर के पंखों का विशेष महत्व है. मोर के पंखों में सभी देवी-देवताओं और सभी नौ ग्रहों का वास होता है. ऐसा क्यों होता है, हमारे धर्म ग्रंथों में इससे संबंधित कथा होती है. भगवान शिव ने मां पार्वती को पक्षी शास्त्र में वर्णित मोर के महत्व के बारे में बताया है. प्राचीन काल में संध्या नाम का एक असुर हुआ था. वह बहुत शक्तिशाली और तपस्वी असुरबन गया था. गुरु शुकाचार्य के कारण संध्या देवताओं का शत्रु बन गया था.
संध्या असुर ने कठोर तप कर शिवजी और ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया था. ब्रह्माजी और शिवजी प्रसन्न हो गए तो असुर ने कई शक्तियां वरदान के रूप में प्राप्त की. शक्तियों के कारण संध्या बहुत शक्तिशाली हो गया था. शक्तिशाली संध्या भगवान विष्णु के भक्तों का सताने लगा था. असुर ने स्वर्ग पर भी आधिपत्य कर लिया था, देवताओं को बंदी बना लिया था. जब किसी भी तरह देवता संध्या को जीत नहीं पा रहे थे, तब उन्होंने एक योजना बनाई.
योजना के मुताबिक, सभी देवता और सभी नौ ग्रह एक मोर के पंखों में विराजित हो गए. अब वह मोर बहुत शक्तिशाली हो गया था. मोर ने विशाल रूप धारण किया और संध्या असुर का वध कर दिया है. तभी से मोर को भी पूजनीय और पवित्र माना जाने लगा है. ज्योतिष शास्त्र में भी मोर के पंखों का विशेष महत्व बताया गया है. यदि विधिपूर्वक मोर पंख को स्थापित किया जाए तो घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और कुंडली के सभी नौ ग्रहों के दोष भी शांत होते हैं. घर का द्वार यदि वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित कर सकते है.
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