भारत अपने नए दौर में कदम रख रहा है. योग के प्रति नए सिरे से जन सामान्य की रुचि पैदा करने और उसे सामाजिक जीवन की मुख्यधारा में लाने के प्रयासों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका जग जाहिर है, पर यह बात कम-जानी है कि देश के एक और गुजराती प्रधानमंत्री ने पहली बार स्कूली स्तर पर योग को सम्मिलित करने की बात कही थी.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि 8 अप्रैल, 1977 को नई दिल्ली में आयोजित एक योग प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने पहली बार स्कूलों में योग कक्षाएं शुरू करने का आह्वान किया था. उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या कार्यढांचा (एनसीएफ), 2005 में योग को स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा का अभिन्न अंग बनाने की सिफारिश की गई थी. तब देश की राजधानी में इस योग प्रशिक्षण शिविर का आयोजन महाराष्ट्र के लोनावला जिले की कैवल्यधाम नामक संस्था और केंद्रीय शिक्षा और समाज कल्याण मंत्रालय ने संयुक्त रूप से किया था.
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इस शिविर में मोरारजी देसाई ने शामिल हुए 150 प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा था कि योग हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण घटक है. सांस्कृतिक मूल्यों में अवमूल्यन के कारण वर्तमान में अनेक समस्याओं से जूझना पड़ रहा था, जिन्हें दूर किया जाना चाहिए.उनका कहना था कि योग, स्वस्थ मन और शरीर के विकास का एक साधन था. सरकार अकेले अपने भरोसे योग का प्रचार नहीं कर सकती. सामाजिक कार्यकर्ताओं को समाज की सेवा की भावना के रूप में यह कार्य अपने हाथ में लेना होगा.
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