नई दिल्ली: सड़कों पर खड़े कबाड़ हुए टैंक, मिसाइलों के हमले से खंडर बन चुकी इमारतें और वीरान पड़े रास्ते, पिछले एक सप्ताह में यूक्रेन की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है. जहां एक सप्ताह पहले केवल तनाव भरा माहौल था, वहां अब धमाकों की आवाजों को काटती लोगों की चीखें सुनाई दे रही हैं.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक सप्ताह पहले 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ सख्त मिलिट्री एक्शन शुरू करने की घोषणा कर दी थी. जिसके बाद युद्ध शुरू हो गया. इसके बाद से लगातार रूस के जवान यूक्रेन की ओर कूच कर रहे हैं, वहीं हवाई हमलों से यूक्रेन के बुलंद हौसले तोड़ने का पूरा प्रयास जारी है. रूसी सेना के हमलों का यूक्रेन की सेना के साथ ही आम जनता भी जवाब दे रही है. कई स्थानों पर आम लोगों ने ही बिना डरे रूसी सैनिकों का रास्ता रोका है.
मिसाइल, ड्रोन हमलों के साथ ही रूस की तरफ से पैराट्रूपर्स को भी जंग में इस्तेमाल किया जा रहा है. खारकीव में बुधवार को पैराट्रूपर्स उतरे थे. उन्होंने अस्पतालों को भी निशाना बनाया था. युद्ध का असर यूक्रेन के आम जनता पर सीधे तौर पर पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, बीते सात दिनों में यूक्रेन से 1 मिलियन यानी 10 लाख लोग पड़ोसी देशों में पलायन कर गए हैं. यह नंबर यूक्रेन की कुल जनसँख्या का 2 फीसदी है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 2020 के अंत तक यूक्रेन की आबादी 44 मिलियन थी.
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