जबलपुर : जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक दिन की बच्ची का ऐसा मुश्किल ऑपरेशन हुआ, जिसने पूरी दुनिया की नजर इस अस्पताल पर टिका दी. यह ऑपरेशन दुनिया के सबसे कठिनतम ऑपरेशनों में माना जाता है, क्योंकि यह बीमारी 20 हजार में से किसी एक बच्चे को होती है. लेकिन माँ की जिद और डॉक्टरों की काबिलियत ने न केवल नवजात को जीवन दिया, बल्कि माँ की मुस्कान भी लौटा दी.
मिली जानकारी के अनुसार दमोह निवासी गरीब परिवार के अपराजित लोधी और उसकी पत्नी मिनी लोधी इस बात से खुश थे कि उन्हें उन्हें संतान सुख मिलने वाला है.एक अस्पताल में मिनी का प्रसव हुआ. जैसे ही बच्ची पैदा हुई वहां के चिकित्सकों ने देखा कि बच्ची की जीभ बहुत मोटी थी. बच्ची न तो सांस ले पा रही थी और न ही कुछ निगल पा रही थी. सभी की खुशियां काफूर हो गई और सभी को लगा कि बच्ची बस कुछ देर की मेहमान है. लेकिन बच्ची की मां ने जिद पकड़ी और अपने कलेजे के टुकड़े को बचाने गुहार लगाने लगी.जबकि परिवार मान चुका था कि बच्ची का जिंदा रहना नामुमकिन है, लेकिन माँ नवजात को अकेले नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गई. जहां बच्ची को वार्ड में भर्ती किया गया और डॉ. विकेश अग्रवाल ने बच्ची को बचाने का संकल्प लिया.
उल्लेखनीय है कि डॉ. अग्रवाल पहले भी ऐसे दो ऑपरेशन कर चुके थे, इसलिए वे जानते थे कि यह बहुत कठिन ऑपरेशन है. बच्ची की जीभ में जो टयूमर था उसे मेक्रोग्लोसिया कहा जाता है और दुनिया भर में इसकी बहुत कम सर्जरी हुई हैं. तीन साल पहले अमेरिका में ऐसा एक ऑपरेशन हुआ था.डॉ. अग्रवाल ने 4 साल पहले रोटरी के सहयोग से मंडला में लगे मेगा कैम्प में ऐसा ही एक ऑपरेशन किया था. डॉ. अग्रवाल ने तुरंत एक टीम तैयार की जिसमें डॉ. आचार्य, डॉ. तिवारी, डॉ. सिद्द्धार्थ और एनेस्स्थीसिया के कठिन कार्य के लिए डॉ. नीना और डॉ. सेठी ने सहयोग किया.
डॉक्टरों के लिए यह ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण था , क्योंकि एक दिन की बच्ची को निश्चेतना के लिए निर्धारित मात्रा देने के साथ ही जीभ में नसों और मसल्स को भी बिना नुकसान पहुँचाए ऑपरेशन करना था वरना बच्ची जिंदगी भर बोल नहीं पाती. घंटो चले ऑपरेशन में आखिरकार बच्ची को नया जीवन मिला और संकट से मुक्ति के बाद डॉक्टरों की शुक्रगुजार मिनी को मिले मातृत्व सुख की मुस्कान अलग ही चमक रही थी.
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