ल्यूडमिला पवलिचेंको, ये नाम शायद आपने न सुना हो, लेकिन इतिहास इस महिला को बखूबी से जानता है. यह इतिहास की सबसे खतरनाक महिला शूटर (स्नाइपर) मानी जाती है. जी हां, एक ऐसी शूटर जिसने जर्मन तानाशाह हिटलर की नाजी सेना की नाक में दम कर दिया था. इस महिला को सोवियत संघ के 'हीरो' के तौर पर भी जाना जाता है. '
बता दें की इस महिला शूटर का नाम ल्यूडमिला पवलिचेंको है. ल्यूडमिला द्वितीय विश्व युद्ध के समय सोवियत संघ की रेड आर्मी में एक बेहतरीन स्नाइपर थीं, वो भी तब जब महिलाओं को आर्मी में नहीं रखा जाता था. लेकिन ल्यूडमिला ने अपने हुनर से न सिर्फ सोवियत संघ बल्कि दुनियाभर में नाम कमाया. कहते हैं कि सिर्फ 25 वर्ष की उम्र में ल्यूडमिला ने अपनी स्नाइपर राइफल से कुल 309 लोगों को मार गिराया था, जिनमें से अधिकतर हिटलर की फौज के सिपाही थे. स्नाइपर राइफल के साथ अविश्वसनीय क्षमता के कारण ल्यूडमिला को 'लेडी डेथ' नाम से भी पुकारा जाता था.
12 जुलाई 1916 को यूक्रेन के एक गांव में जन्मीं ल्यूडमिला ने महज 14 साल की उम्र में ही अपने हाथो में हथियार थाम लिए थे. हेनरी साकैडा की किताब 'हीरोइन्स ऑफ द सोवियत यूनियन' के अनुसार, पवलिचेंको पहले हथियारों की फैक्ट्री में काम करती थीं, लेकिन बाद में एक लड़के की वजह से वो स्नाइपर (निशानेबाज) बन गईं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका यात्रा के दौरान ल्यूडमिला ने एक बार बताया था, 'मेरे पड़ोस में रहने वाला एक लड़का शूटिंग सीखता था और जब तब शेखी बघारता रहता था. बस उसी वक्त मैंने ठान लिया कि जब कोई शूटिंग कर सकता है तो एक लड़की भी ऐसा कर सकती है. इसके लिए मैंने कड़ा अभ्यास किया. ' इसी अभ्यास का नतीजा था कि कुछ ही दिनों में ल्यूडमिला ने हथियार चलाने में महारत हासिल कर ली.
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