ए मॉं...
चल आना बैठ कर बातें करते हैं..
कुछ तू सुना कुछ मैं बताऊं..
इसकी उसकी सबकी बातें करेंगे...
एक घर मैं बनाऊं मिट्टी का...
एक घर तू बनाना मिट्टी का..
थोड़ी सी मिट्टी मै तुझसे लूं मां...
थोड़ी सी मिट्टी तू मेरी भी ले ले मां...
अब हमारा घर बन गया...
दोनो एक ही मिट्टी के बने हुए..
हम एक दूसरे में समाहित हैं माँ.....
मेरी जिन्दगी की पहली शिक्षक...
मेरी जिन्दगी की पहली दोस्त..
मेरी पूरी जिन्दगी ही तुमसे मां....
बहुत थक गई हूं जिन्दगी के ताने बाने से ..
कुछ देर के लिए ही अपनी आंचल की छांव में ले ले मुझे..
ए मां....
आना चल बैठ कर कुछ बातें करते हैं ....
कुछ तू अपनी सुना कुछ मैं अपनी बताऊं ....
तुम्हारी परछाई
नीता मित्तल