माता रानी यानी नवरात्रि के दिन है और इन दिनों में हम आपको एक ऐसी माँ की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे जानने के बाद आप हैरान रह जाएंगे। जी दरअसल यह कहानी है एक ऐसी माँ की जिसने अपनी हाथों की लकीरे खुद बदली है। जी दरअसल हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के नोएडा जिले की, जहाँ की सड़कों पर एक अनोखा नजारा देखने को मिला। जी दरअसल, यहां एक महिला अपने बच्चे को गोद में बैठा कर ई-रिक्शा चलाती हुई नजर आई। बताया जा रहा है इस महिला का नाम चंचल शर्मा है, जो अपने बच्चे के लिए इस तरह का जीवन जी रही है, उसके बारे में जानकर सभी लोग उसके फैन हो गए हैं।
जी दरअसल नोएडा की सड़कों पर ई-रिक्शा चलाती चंचल शर्मा पर हर किसी की आंखें रुक ही जाती है। बताया जा रहा है चंचल अपने एक साल के बेटे को कंधे के सहारे बंधा और स्टीयरिंग को मजबूती से थामे, आगे बढ़ती रहती है। जी हाँ और हम सभी जानते हैं कि अगर नौकरी करते तो अपने एक साल के मासूम बच्चे को कहीं न कहीं छोड़ना पड़ता है हालाँकि माँ यानी चंचल ने ऐसा नहीं किया।
चंचल हर दिन अपने दिन की शुरूआत सुबह 6:30 बजे से करती है और नोएडा सेक्टर 62 स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल्स से सेक्टर 59 स्थित लेबर चौक के बीच काम करती हैं। करीब 6।5 किलोमीटर के इस रूट पर उनके अलावा कोई दूसरी महिला ई-रिक्शा नहीं चलाती। 27 साल की चंचल शर्मा का कहना है कि अंकुश के पैदा होने के 1।5 साल बाद उन्होंने नौकरी की तलाश शुरू की, लेकिन कोई काम नहीं मिला तो आखिर में ई-रिक्शा चलाने का काम शुरू किया। चंचला कहती हैं कि मैं अपने बेटे को वह जीवन देना चाहती हूं, जो मेरे पास नहीं है। वहीं अगर चंचल की मानें तो जो भी यात्री उनकी ई-रिक्शा में बैठता है वो उनकी तारीफ करता है।
जी हाँ, चंचल ने बताया कि वो अपने पति से अलग हो गई हैं और एक कमरे में अपनी मां के साथ रहती हैं। चंचला का कहना है वह बेटे अंकुश को मैं घर पर नहीं छोड़ सकती, क्योंकि मेरी मां एक ठेले पर प्याज बेचती हैं। अब इस समय चंचल की ये कहानी हर किसी को प्रेरित कर रही है।
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