माँ ने ही कर दिया 15 दिन की बच्ची का क़त्ल. कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद

माँ ने ही कर दिया 15 दिन की बच्ची का क़त्ल. कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया, जहां एक मां ने अपनी ही नवजात बेटी की हत्या कर दी। इस अपराध के लिए शनिवार को अदालत ने आरोपी महिला प्रियंका को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और साथ ही 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। घटना फरवरी 2024 की है, जब प्रियंका ने अपनी 15 दिन की बच्ची को मायके ले जाकर तालाब में फेंक दिया था। बच्ची का शव बाद में तालाब से बरामद हुआ, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।

इस दुखद घटना के बाद, प्रियंका के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर जांच शुरू हुई। बदायूं की विशेष अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान, न्यायाधीश रिंकू जिंदल ने सभी साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर प्रियंका को दोषी ठहराया। सरकारी वकील ऐश्वर्या कुमार ने कहा कि अदालत ने इस मामले में कठोर रुख अपनाते हुए एक मजबूत संदेश दिया है। यह सजा न केवल आरोपी के परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है, जिससे इस तरह के जघन्य अपराधों को रोकने का प्रयास किया जा सके।

यह घटना इस बात को उजागर करती है कि महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं के बीच, कुछ मामलों में महिलाएं स्वयं भी ऐसे अपराधों में लिप्त हो जाती हैं। प्रियंका की यह कार्रवाई समाज के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा करती है, जिसमें एक मां के हाथों उसके ही बच्चे की हत्या का मामला आया है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में भी एक महिला की हत्या के मामले में अदालत ने आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला तीन साल पुराना है, जब एक गांव में 30 वर्षीय महिला की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस सनसनीखेज वारदात के मामले में आरोपी को दोषी मानते हुए स्थानीय अदालत ने कठोरतम सजा सुनाई। 

महाराजगंज के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आतिश कुमार सिंह ने पीटीआई को बताया कि 2021 में हुई इस घटना की जांच के दौरान मजबूत सबूत जुटाए गए थे। अदालत ने इन सबूतों और गवाहों के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया और उसे उम्रकैद की सजा दी।दोनों ही मामलों में अदालत का यह निर्णय समाज में न्याय व्यवस्था की ताकत को दर्शाता है। यह सख्त सजा ऐसे अपराधियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि कानून के तहत किसी भी अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। समाज को इन घटनाओं से सीख लेकर ऐसे अपराधों के खिलाफ जागरूक होना चाहिए और न्यायपालिका में विश्वास बनाए रखना चाहिए।

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