May 13 2018 09:05 AM
किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता।
रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ।
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