बहुत सी ऐसी कहानियाँ है जो मन को सुकून देती हैं और इसी के साथ मोटिवेट भी करती है आज हम आपके लिए एक ऐसी ही कहानी लेकर आए है जो मोइवेशनल है. इस कहानी से आपको यह समझ आएगा कि कैसे एक सुई में एक तलवार से ज्यादा शक्ति होती है. आइए जानते हैं.
कहानी- एक बार बाबा फरीद से मिलने के लिए एक राजा आया. राजा अहंकारी था. वह बहुत सोच-विचार कर बाबा के लिए उपहारस्वरूप एक तलवार लेकर आया. वह तलवार बेशकीमती, अनूठी और नायाब थी. सोने से बनी उस तलवार में हीरे और रत्न जड़े हुए थे. तलवार भेंट करते हुए राजा बोला, ‘बाबा, यह भेंट मैं आपको देना चाहता हूं.’ तलवार को देख बाबा फरीद राजा से बोले, ‘राजन, मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूं कि तुम मेरे लिए उपहार में बेशकीमती तलवार लाए हो. लेकिन यह मेरे किसी काम की नहीं है. यदि तुम मुझे कुछ देना ही चाहते हो तो मुझे सुई के साथ विनम्रता का उपहार दो. वह उपहार मेरे लिए ऐसी सौ तलवारों से भी अधिक कीमती होगी.’ बाबा फरीद की बात सुनकर राजा उलझन में पड़ गया.
वह बोला, ‘बाबा, भला सुई और विनम्रता ऐसी सौ तलवारों का मुकाबला कैसे कर सकती है?’ बाबा बोले, ‘राजन, तलवार लोगों को मारने-काटने का काम करती है, जबकि सुई सिलने का काम करती है. एक नन्ही सी सुई चीजों को जोड़ती है. तोड़ना आसान है और जोड़ना बहुत कठिन. उसी तरह विनम्रता से कोई उन व्यक्तियों को भी जीत लेता है जिन्हें वह अहंकार से नहीं जीत सकता. विनम्रता और प्रेम के आगे सब पराजित हो जाते हैं. अब तुम्हीं बताओ, ऐसे में कौन ज्यादा कीमती है? तलवार और अहंकार या सुई और विनम्रता.’ राजा बाबा का संकेत समझ गया और उनके चरणों में अपना सिर रखकर बोला, ‘बाबा, आज आपने मेरे जीवन की दिशा ही बदल दी है. आज से मैं सुई की भांति जोड़ने का काम करूंगा और विनम्रता से अपनी प्रजा की सेवा करूंगा.’ इसके बाद उसने उस कीमती तलवार को फेंका और विनम्रता को धारण कर अहंकार का त्याग कर दिया. इसके बाद वह राजा बाबा फरीद की बात को ध्यान में रखकर सुई की भांति जोड़ने का काम करने लगा.
इस तरह राजा भोज ने की थी मर्यादा की स्थापना