दुनियाभर की अजीब-अजीब परम्पराओं के बारे में आप सभी जानते ही होंगे. ऐसे में आज हम भी आपको एक ऐसी परम्परा के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में जानकर आपको काफी हैरानी होगी. दरअसल हम बात कर रहे हैं आंध्रप्रदेश में हैदराबाद के नामपल्ली इलाके की, जहाँ बीमारी के इलाज के लिए लोग मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं बल्कि फिश ट्रीटमेंट लेते है. जी हाँ, फिश ट्रीटमेंट. सुनकर आप सभी को हैरत जरूर हुई होंगे लेकिन यह सत्य है. यहाँ पर लोग फिश ट्रीटमेंट को सबसे ज्यादा अच्छा मानते हैं.
फिश ट्रीटमेंट में मछली को बीमार लोगों के मुँह में डालकर उनका इलाज किया जाता है. यह इलाज फिश ट्रीटमेंट के नाम से जाना जाता है और इस ट्रीटमेंट को लोग बहुत पसंद भी करते हैं. यह ट्रीटमेंट मुख्यतः अस्थमा के मरीजों के लिए अपनाया जाता है. हर महीन दूर-दूर से लोग यहाँ इलाज के लिए आते हैं. कहा जाता है कि इस महीने में यहाँ सबसे ज्यादा लोग आते हैं और फिश ट्रीटमेंट लेते है. इस ट्रीटमेंट के दौरान करीब पांच सेंटीमीटर (दो इंच) लंबाई वाली मुरेल मछली को मरीजों के गले में डालकर इलाज किया जाता है जो बहुत ही अजीब होता है.
जब इस फिश ट्रीटमेंट को किया जाता है तो मरीज का गला पूरी तरह से साफ़ हो जाता है और सांस लेने में भी उसे कोई परेशानी नहीं आती है और उसकी बिमारी भी ठीक होती जाती है. आपको बता दें कि नामपल्ली में इस इलाज को केवल बैथिनी गौड़ परिवार द्वारा किया जाता है, बैथिनी गौड़ परिवार अपने इलाज का यह फार्मूला किसी को नहीं बताते हैं लेकिन उनके इस इलाज से कई मरीजों को राहत मिलती है.
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