दुनिया के कई कोनों में मुर्गे की लड़ाई मशहूर है और लोग दूर-दूर से देखने आते हैं पर एक मुर्गे को लेकर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों में विवाद छिड़ गया है. दरअसल बात मुर्गे की सबसे अनोखी प्रजाति कड़कनाथ की है जो दुनिया में मुर्गों की एक मात्रा ऐसी प्रजाति है जो सिर्फ इन दोनों ही राज्यों के कुछ इलाकों में पाई जाती है लेकिन अब इस पर दोनों ही राज्य अपना-अपना होने का दावा कर रहे हैं.
क्यों है कड़कनाथ की यह प्रजाति खास ?
कड़कनाथ या कालीमासी नामक मुर्गे की इस प्रजाति को खास इसलिए मानी जाती है क्यूंकि इस मुर्गे का ख़ून और मांस तक काला ही होता है इसके खास होने के कई और भी कारण है जिसकी वजह से यह अन्य मुर्गों से विशिष्ठ है. देश में पाए जाने वाले दूसरे मुर्गों की तुलना में इसका आकार और वजन तो बड़ा होता ही है, इस मुर्गे में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व भी दूसरे मुर्गों की तुलना में कहीं अधिक होते हैं.
अपने स्वादिष्ट मांस के लिए चर्चित कड़कनाथ में दूसरे मुर्गों की तुलना में प्रोटीन की मात्रा 20 प्रतिशत की तुलना में 25 प्रतिशत तक होती है.इसी तरह कड़कनाथ में वसा की मात्रा अधिकतम 1.03 प्रतिशत तक होती है, जो सामान्य मुर्गे में 13 से 25 प्रतिशत तक होता है और दूसरे मुर्गे की तुलना में कड़कनाथ में कोलेस्ट्राल भी कम होता है.
कड़कनाथ के लिए दोनों राज्यों का बराबरी से दावा
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में भी कड़कनाथ की प्रजाति मिलती है और मध्यप्रदेश के झाबुआ, धार और बड़वानी में भी. दोनों ही राज्यों में बरसों से कड़कनाथ की प्रजाति को पालने का चलन है पर अब कड़कनाथ के 'जियोग्राफ़िकल इंडिकेशंस टैग' यानी भौगोलिक संकेतक का दावा करते हुए दोनों राज्यों ने चेन्नई के भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय में अपना आवेदन पेश किया है. दोनों राज्यों का बराबरी से यही दावा है कि यह हमारा है.
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