भोपाल: मध्य प्रदेश में अब कोरोना के केस कम होने लग हैं. मामलों के कम होने के बाद भी CM शिवराज सिंह चौहान ने ढील देने से साफ़ इंकार कर दिया है। जी हाँ, उन्होंने एक बार फिर साफ कर दिया गया है कि, प्रदेश में लागू किया गया कोरोना कर्फ्यू 1 जून से भोपाल और इंदौर दोनों ही जिलों में नहीं खोला जाएगा। इसी के साथ यह भी कहा गया है कि 7 जिलों को छोड़कर 45 जिलों में राहत दी जाएगी। आप सभी को बता दें, बीते कल यानी (बुधवार) शाम को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनता को संबोधित किया.
आज #COVID19 संकट ने मानवता को झकझोर कर रख दिया है। यह अलग बात है कि हम इसे नियंत्रित करने की स्थिति में आ गए हैं। वायरस फैलने का कारण है लेकिन उस कारण का निवारण किया जा सकता है। आप सभी के प्रयासों से कोरोना संक्रमण नियंत्रण में है।: सीएम श्री @ChouhanShivraj #MPFightsCorona pic.twitter.com/8lrcnNHatA
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) May 26, 2021
इस दौरान सम्बोधन में उन्होंने इस बारे में जानकारी दी। उनके संबोधन से 1 जून से प्रदेश खुलने का इंतज़ार कर रहे कुछ लोगों के इरादों पर एक बार फिर पानी फेर दिया है। जी दरअसल बीते कल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि, ''पूरी शक्ति के साथ इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि 1 जून से मध्यप्रदेश में जनजीवन सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए, परंतु आंकड़े बताते हैं कि, मध्य प्रदेश के 7 जिले लॉकडाउन रहेंगे। शेष 45 जिलों में कर्फ्यू में ढील दी जाएगी।'' आप सभी को बता दें, उनके द्वारा जारी किए गए आदेशों के अनुसार, राजधानी भोपाल के साथ ही इंदौर, सागर, रतलाम, रीवा, अनूपपुर तथा सीधी में कर्फ्यू जारी रहेगा। जी दरअसल इन जिलों में छूट न मिलने का कारण इन जिलों का साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट है। आपको बता दें कि इन जिलों का साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट 5% से ज्यादा है और WHO की गाइडलाइन के मुताबिक साप्ताहिक औसत संक्रमण की दर 5% से कम होने की स्थिति में ही कर्फ्यू में ढील दी जा सकती है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कही गई कुछ मुख्य बातें -
* 1 जून से कर्फ्यू में कुछ ढील दी जाएगी, लेकिन अचानक न घर से निकलना है और न ही बड़े आयोजन करना है। इससे स्थिति बिगड़ सकती है।
* लॉकडाउन को वैज्ञानिक तरीके से खोला जाएगा।
* तीसरी लहर की भी बात सामने आ रही है, अगर असावधान रहे तो संक्रमण बढ़ेगा।
* हमें प्रदेश में तीसरी लहर को नहीं आने देना है।
* शादी-विवाह, धार्मिक आयोजन, राजनीतिक रैली जैसे बड़े आयोजन नहीं आयोजित होंगे।
* समाज इसे अपना आंदोलन बनाए। धर्मगुरु अपने अनुयायियों को और राजनीतिक संगठन अपने कार्यकर्ताओं को अनुशासित रहने का संदेश दें।
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