नई दिल्ली: आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है और आज इस कथन की अहमियत और बढ़ जाती है कि हर कामयाब पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है. मगर आज हम आपको बताने जा रहे हैं दो कामयाब बेटियों के पीछे उनके पिता के होने की कहानी. 2016 में आई फिल्म ‘दंगल’ फिल्म में एक्टर आमिर खान के डॉयलाग- ‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के’ ने बेगूसराय के बखरी के मुकेश को इस कदर प्रभावित किया कि उसने अपनी दोनों बेटियों को पहलवान बनाने की ठान ली.
इसके बाद मुकेश ने अपने घर के सामने ही बेटियों के लिए अखाड़ा खुदवा दिया. अपनी दोनों बेटियों को पहलवान बनाने की ठान लेने के बाद मुकेश ने न सिर्फ घर में अखाड़ा बनाया बल्कि खुद कोच बनकर शालिनी और निर्जला को कुश्ती के दाव पेंच सिखाने लगे. आज उनकी बेटियां कुश्ती में शानदार प्रदर्शन कर रही है. कई कुश्ती प्रतियोगिता में उन्होंने मेडल जीते हैं. अब शालिनी और निर्जला के पिता मुकेश का अरमान है कि उनकी दोनों बेटियों का दाखिला JSW किसी दूसरे बड़े प्रशिक्षण संस्थान में हो जाए, ताकि उनके खेल और तकनीक में निखार आए और उनकी ये बेटियां बिहार और देश का नाम रोशन कर सकें.
बता दें कि बेगूसराय के बखरी के सलोना गांव में घर के अहाते से आरंभ हुआ शालिनी और निर्जला की कुश्ती का यह सफर कई स्टेट नेशनल टूर्नामेंट तक पहुंच चुका है. दोनों बहनों ने कई प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन कर मेडल जीते हैं. शालिनी ने हरियाणा के सोनीपत और निर्जला ने उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुई राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है. दोनों बहनें तकरीबन 6 से अधिक राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर हुए टूर्नामेंट में हिस्सा लिया है और अपने प्रतिद्वंदी को पटखनी दी है.
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