May 11 2018 04:01 PM
कुमार विश्वास ने कभी कहा है कि जब भी सामने से तेज स्पीड से एक ट्रक हमारी ओर आता हुआ दिखाई दे तो सबसे पहले डर नाभि में महसूस होता है, वो डर न आँखों में होता है न लबों पर, वो सिर्फ नाभि में ही होता है ऐसा इसलिए कि माँ ने जिस नाभि से 9 महीने पेट में पालकर हमें जीवन दिया है उसी नाभि से वो जीवन भी वापस लौट जाएगा, ऐसा ही कुछ मुनव्वर राना साहब भी है जिन्होंने 'माँ' को शायरी में ढालकर सदियों के लिए एक ऐसा नेक काम किया है जिसे शायद ही किसी ने करने की हिम्मत जुटाई होगी.
"दावर-ए-हश्र तुझे मेरी इबादत की कसम
ये मेरा नाम-ए-आमाल इज़ाफी होगा
नेकियां गिनने की नौबत ही नहीं आएगी
मैंने जो मां पर लिक्खा है, वही काफी होगा"
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