ग़ज़ल को कोठे से मां तक घसीट लाए...

ग़ज़ल को कोठे से मां तक घसीट लाए...
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कहीं क्या खूब लिखा है, 'माँ के पैरों में जन्नत होती है'  खुदा का दिया हुआ एक अनमोल तोहफा अगर कोई जमी पर है तो वो माँ है, माँ के प्रति ममता, दुलार और प्यार को शब्दों में ढालना दुनिया के तमाम मुश्किल कामों में से एक है. माँ के लिए आप क्या लिख सकते है, एक ऐसा विषय जिसका कोई अंत नहीं है फिर उसे कैसे लिखा जा सकता है, और अगर लिखा भी जाए तो आप लिखते चले जाओ आपकी ज़िंदगी खत्म हो जाएगी लेकिन माँ पर लिखना शायद कभी खत्म न हो. भारत ही नहीं पूरी दुनिया में माँ के बारे में अगर किसी ने दिल से इतनी गहराई से लिखा है तो वो शख्स है मुनव्वर राणा साहब... आपके लिए पेश है 'माँ' पर लिखे मुनव्वर राना साहब के कुछ जज्बात शायरी में

“मामूली एक कलम से कहां तक घसीट लाए
हम इस ग़ज़ल को कोठे से मां तक घसीट लाए”

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