पटना: बिहार विधान परिषद के तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव के लिए जारी मतदाता सूची में एक गंभीर और हैरान करने वाली गलती सामने आई है, जो मतदाताओं के बीच भ्रम और निराशा का कारण बन गई है। यह गलती मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड क्षेत्र के बूथ नंबर 54 से जुड़ी है, जहां सैकड़ों मतदाताओं के पिता का नाम गलत तरीके से "मुन्ना कुमार" दर्ज किया गया है।
वही इस गलती से प्रभावित 724 मतदाताओं में से 138 लोगों के पिता का नाम "मुन्ना कुमार" अंकित है, जो पूरी तरह से गलत है। इस गलती ने न सिर्फ मतदाताओं में भ्रम की स्थिति उत्पन्न की है, बल्कि उनके बीच चिंता और नाराजगी भी बढ़ा दी है, क्योंकि उनका डर यह है कि कहीं उन्हें मतदान करने का अधिकार न छिन जाए। अब, चूंकि मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन हो चुका है, इस तरह की गलती को सुधारने का कोई अवसर नहीं बचा है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है। यह उपचुनाव 5 दिसंबर को निर्धारित है तथा 9 दिसंबर को एमआईटी कैंपस में मतगणना होगी। इस चुनाव के लिए जिले में कुल 86 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें 41 मूल और 45 सहायक मतदान केंद्र सम्मिलित हैं। जिले के कुल 72,547 मतदाता—जिनमें 45,031 पुरुष, 22,511 महिलाएं और 5 थर्ड जेंडर शामिल हैं—अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए तैयार हैं।
किन्तु औराई प्रखंड कार्यालय के बूथ संख्या 54 की मतदाता सूची में एक अजीबोगरीब गलती सामने आई है, जिसमें क्रमांक संख्या 1054 के बाद 19 प्रतिशत मतदाताओं के पिता का नाम "मुन्ना कुमार" दर्ज किया गया है। इस गलत नामांकन ने मतदाताओं के बीच भारी चिंता उत्पन्न कर दी है तथा वे यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या इस त्रुटि के कारण उनके मतदान में कोई रुकावट आ सकती है। विशेषकर उन मतदाताओं को अधिक चिंता हो रही है, जिनका नाम या पहचान इससे प्रभावित हुई है। समझा जा रहा है कि यह गलती एक तकनीकी त्रुटि का नतीजा है। दरअसल, जिन मतदाताओं के पिता के नाम का पहला अक्षर "एम" है, उनका नाम यूनिकोड फॉन्ट के कारण "मुन्ना कुमार" के रूप में दर्ज हो गया है। यह एक प्रकार की सॉफ़्टवेयर गलती है, जिसका प्रभाव एक बड़े हिस्से पर पड़ा है।
तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त सरवणन एम ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक तकनीकी त्रुटि है, जिसे चुनाव के बाद सुधारा जाएगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस गलती के कारण किसी भी मतदाता को उनके मताधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा। हालांकि, इस प्रकार की तकनीकी गलतियों के कारण मतदाताओं में असमंजस की स्थिति उत्पन्न होती है तथा इसे सुधारने में चुनाव आयोग को उचित कदम उठाने होंगे जिससे इस प्रकार की त्रुटियों के कारण मतदान प्रक्रिया पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े। यह गलती अब तक का एक अहम मुद्दा बन गई है और चुनाव अधिकारी इस पर ध्यान दे रहे हैं ताकि इसे जल्द से जल्द सही किया जा सके और मतदाताओं को कोई असुविधा न हो।
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