दुनियाभर में भगवान शिव के कई मंदिर हैं जो अपने आप में ही अनोखे हैं और हर मंदिर बेहद ही खूबसूरत हैं जिसे देखकर आप भी हैरान रह जाएं. आज हम ऐसे ही एक और मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो कहीं और नहीं बल्कि भारत में ही है जो काफी अनोखा, खूबसूरत और अद्भुत है. आइये जानते हैं उस मंदिर के बारे में.
दरअसल, ये मंदिर दक्षिण भारत के कर्नाटक के कन्नड़ जिले की भटकल तहसील में है जिसका नाम मुरुदेश्वर महादेव मंदिर है. ये मंदिर रामायण काल से बना हुआ है. आपको बता दें, यह मंदिर अरब सागर के तट पर बना हुआ है और कहा जाता है यहां पर जो भी मांगते हैं सभी मुरादें पूरी होती हैं. यहां का वातावरण आपका भी मन मोह लेगा. यहां शिवजी की मूर्ति बड़ी है जिसकी तुलना दुबई के बुर्ज खालिफा से की जाती है. इस मंदिर के पीछे पौराणिक काल की कथा भी जुडी हुई है.
कथा कुछ ऐसी है कि शिवजी से अमरता का वरदान पाने के लिए रावण ने तपस्या की थी किसके बाद शिवजी ने प्रसन्न हो कर उसे एक शिवलिंग दिया जिसे आत्मलिंग कहा जाता है. इसे देते हुए शिवजी ने कहा था कि इस आत्मलिंग को जहाँ पर रख देगा वहीं ये स्थापित हो जायेगा. भगवान ने कहा था अगर अमर होना चाहते हो तो इसे श्रीलंका में लेजा कर ही स्थापित करना. लेकिन वहीं देवता यह नहीं चाहते थे कि रावण अमर हो जाए इसलिए भगवान विष्णु ने छल करते हुए वह शिवलिंग रास्ते में ही रखवा दिया.
जब रावण को इस बात का पता चला तो उसने आत्मलिंग को नष्ट करना का प्रयास किया था. तभी इस लिंग पर ढंका हुआ एक वस्त्र उड़कर मुरुदेश्वर क्षेत्र में आ गया था. इसी वस्त्र के कारण इस जगह को तीर्थ की उपाधि दी गई है. आप देख सकते हैं मुरुदेश्वर मंदिर में भगवान शिव की विशाल मूर्ति स्थापित हैं, जिसकी ऊंचाई करीब123 फीट है. यह भगवान शिव की दूसरी सबसे ऊँची मूर्ति मानी जाती है. इसका निर्माण भी कुछ इस तरह कराया गया है कि दिनभर इस पर सूर्य का प्रकाश आटा रहे और मूर्ति चमकती रहे.
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