'ज्ञानवापी' पर घमासान, कोर्ट के आदेश पर मुस्लिम नेताओं ने दिए भड़काऊ बयान

'ज्ञानवापी' पर घमासान, कोर्ट के आदेश पर मुस्लिम नेताओं ने दिए भड़काऊ बयान
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नई दिल्ली: ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट को जांच कमीशन अब वाराणसी की अदालत में पेश करने वाला है। वहीं इस मुद्दे पर सियासत भी गर्म हो गई है और धर्मगुरुओं के भी बयान सामने आने लगे हैं। इसी क्रम में बरेली स्थित दरगाह हजरत के प्रचारक मौलाना शहाबुद्दीन ने भड़काऊ बयान दिया है। उन्होंने धमकी देते हुए कहा है कि मस्जिद क़यामत तक रहेगी।

दरगाह हजरत के प्रचारक मौलाना शहाबुद्दीन ने धमकी भरे लहजे में कहा कि, 'मुसलमान अब इन सभी मामलों को बर्दाश्त नहीं कर सकता है। हमने एक बार बाबरी मस्जिद दे दी। सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया और उस फैसले के सामने पूरे देश के मुसलामानों ने अपना सिर झुका दिया। मगर अब इसके अलावा हम दूसरी मस्जिद नहीं दे सकते। हमारे सब्र का पैमाना न नापा जाए, हमारे बर्दाश्त करने की हद को पार न होने दिया जाए। मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद क़यामत तक रहेगी।'

वहीं AIMIM चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि, 'अदालत द्वारा नियुक्त कमिश्नर ने शिवलिंग मिलने का दावा कोर्ट में नहीं किया है। बल्कि हिन्दू पक्ष ने दावा किया है और अदालत ने उस जगह को सील करने का आदेश दे दिया। ये 1991 में बने एक्ट के विरुद्ध है। परिसर में शिवलिंग नहीं, फव्वारा मिला है और ये फव्वारा प्रत्येक मस्जिद में होता है। यदि शिवलिंग मिला होता, तो कोर्ट कमिश्नर को ये बात बतानी चाहिए थी।'

AIMIM के ही राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद वसीम वकार ने कहा कि, 'किसी व्यक्ति ने प्रार्थना पत्र दिया और अदालत ने फैसला दिया कि उस स्थान को सील कर दिया जाए। इस फैसले ने अयोध्या के 1949 के फैसले की याद ताजा कर दी। वीडियोग्राफी और रिपोर्ट जब अदालत में पेश ही नहीं की गई है, तो किसी के प्रार्थना पत्र को कैसे मान लिया गया। यदि प्रार्थना पत्र को ही माना जाना था तो सर्वे की क्या आवश्यकता थी?'

उधर, ऑल इंडिया शिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी और शिया धर्मगुरु मौलाना यासुब अब्बास ने भी सवाल करते हुए कहा है कि, 'अभी अदालत में साक्ष्य पेश नहीं किये गए। हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। मगर बड़े अफ़सोस की बात है कि मंदिर हो, मस्जिद हो, गुरुद्वारा या चर्च हो, उसको इस तरीके की राजनीति में डालना एक अच्छे सेहत वाले मुल्क की निशानी नहीं है।'

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