लखनऊ: लखनऊ के इंदिरा नगर थाना क्षेत्र में रविवार (29 दिसंबर 2024) को नगर निगम के कर्मचारियों पर मुस्लिम भीड़ ने हमला कर दिया, जिसमें लगभग 200 लोग शामिल थे। यह हमला अवैध ठेलियों को जब्त करने के दौरान हुआ। हमलावरों में महिलाएं भी शामिल थीं, और कुछ महिला स्टाफ को भी हमलावरों का शिकार होना पड़ा। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों से लूटपाट भी की गई। इस हमले में शेरू और नदीम समेत कई अन्य अज्ञात लोग नामजद किए गए हैं। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपितों की तलाश शुरू कर दी है।
पुलिस मूक दर्शक हैं
— Tushar Rai (@tusharcrai) December 29, 2024
लखनऊ के इंदिरा नगर के चांदन क्षेत्र में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को नगर निगम की टीम हटाने गई तो अतिक्रमणकारियों ने हमला किया. मौके पर महापौर सुषमा खर्कवाल ने पुलिस वालों पर आरोप हम हटवाते, आप लगवाते हो! नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह भी मौके पर मौजूद थे. pic.twitter.com/iYZxEi9HgK
घटना के अनुसार, नगर निगम के कर्मचारी रविवार सुबह 8 बजे लखनऊ महापौर के आदेश पर अवैध कूड़ा उठाने वाली ट्रॉलियों को जब्त कर रहे थे। इस दौरान एक ठेले पर एक अज्ञात पुरुष और दो महिलाएं दिखाई दीं। महिलाओं ने कॉल कर नदीम और शेरू को बुला लिया, जो करीब 150 से 200 लोगों की भीड़ के साथ मौके पर पहुंचे। इसके बाद यह भीड़ नगर निगम की महिला स्टाफ के कपड़े फाड़ने लगी और उनके गले से सोने की चेन छीन ली। इसके साथ ही, सफाईकर्मियों को पीटकर उनके मोबाइल छीन लिए गए और एक फूड इंस्पेक्टर की गाड़ी में तोड़फोड़ की गई। गाड़ी के ड्राइवर को भी बुरी तरह पीटा गया। कुलदीप सिंह समेत अन्य नगर निगम कर्मियों ने जैसे-तैसे अपनी जान बचाई और पुलिस को सूचना दी।
लखनऊ पुलिस ने इस संबंध में केस दर्ज कर छानबीन व अन्य कार्रवाई शुरू कर दी है। आरोपित फरार बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश में छापेमारी की जा रही है। लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल ने पुलिस से कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा है। मेयर का दावा है कि सरकारी कर्मचारियों पर हमला करने वाले आरोपी बांग्लादेशी हैं। इसके साथ ही, जिलाधिकारी और कमिश्नर को कॉल कर महापौर ने इलाके में PAC तैनात करने की माँग की है। रिपोर्ट के अनुसार, इंदिरा नगर में इन बांग्लादेशियों ने अवैध बस्ती बना रखी है, जहाँ अवैध रूप से पानी और बिजली की सप्लाई भी हो रही थी। लेकिन, हमले के बाद महापौर ने बिजली कनेक्शन कटवा दिए हैं। वहीं, बुलडोजर कार्रवाई करते हुए 50 झुग्गियों को भी तोड़ दिया गया है।
लखनऊ के इंद्रा नगर कॉलोनी इलाके में अवैध रूप से झोपड़ियों में रह रहे बांग्लादेशियों ने अतिक्रमण हटाने पर गए नगर निगम कर्मियों पर जानलेवा हमला किया;
— ????????Jitendra pratap singh???????? (@jpsin1) December 29, 2024
और महिला कर्मचारियों के कपड़े फाड़ दिए गए. भारी पुलिस तैनाती के बीच बुलडोजर की कार्रवाई शुरू की गई। मेयर खुद मौके पर मौजूद... pic.twitter.com/LsgSBWvzBE
वहीं, इस घटना को लेकर कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं। क्या यह पहली बार है जब मुस्लिम भीड़ ने प्रशासनिक कर्मचारियों पर हमला किया है? इससे पहले भी कई स्थानों पर मुस्लिम भीड़ द्वारा पुलिस पर पथराव, आगजनी, निगम कर्मचारियों पर हमले और यहां तक कि मीटर चेक करने आए बिजली विभाग के अधिकारियों और कोरोना की जांच करने आए डॉक्टरों पर भी हमला किया जा चुका है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या इस भीड़ को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, या फिर इन्हें कानून का कोई खौफ नहीं है? मौजूदा मामले में भी, मुस्लिम हमलावरों की संख्या लगभग 200 बताई जा रही है, लेकिन क्या उन सभी 200 लोगों को उनके किए की सजा मिलेगी? यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है, क्योंकि जो कुछ लोग गिरफ्तार भी होंगे, उनमें से अधिकांश शायद कोर्ट से छूट जाएंगे और बाकी को कुछ दिनों में जमानत मिल जाएगी।
सरकारी कामकाज में बाधा डालने और सरकारी कर्मचारियों पर हमले के मामले में आमतौर पर सख्त कार्रवाई नहीं होती है। यही कारण है कि ऐसे हमले रुक नहीं रहे हैं। प्रशासन को इस पर कड़ा एक्शन लेने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। यदि इसे नजरअंदाज किया गया, तो यह भारत के लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। यदि ऐसे हमले और कानून के उल्लंघन को नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह स्थिति भारत को लोकतंत्र से भीड़तंत्र की ओर ले जा सकती है, जैसा हम बांग्लादेश में देख रहे हैं। इस स्थिति से बचने के लिए प्रशासन को तुरंत सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।